नई दिल्ली, आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर मांग जोर पकड़ रही है। कर्मचारी संगठनों का तर्क है कि मौजूदा समय में देश का राजस्व संग्रह अच्छा है और वित्तीय स्थिति भी बेहतर है इसलिए आयोग के गठन के लिए यह उचित समय है।
इसको लेकर दो से अधिक दौर की वार्ता भी हो चुकी है, जिसके बाद माना जा रहा है कि सरकार इस दिशा में जल्द कोई फैसला ले सकती है।
नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (एनसी जेसीएम) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने भी हाल में फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि महंगाई को देखते हुए यह कदम बेहद जरूरी है। आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर पहले से देरी हो चुकी है। हर 10 वर्ष में आने वाले आयोग का गठन लागू होने के निर्धारित समय से काफी पहले कर दिया जाता है। वर्ष 2016 से लागू किए गए सातवें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में तत्काल की मनमोहन सरकार ने किया था, जिसकी सिफारिशों को जनवरी 2016 से लागू किया गया।

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इस लिहाज से देखें तो सातवें आयोग की सिफारिशों को लागू हुए जनवरी 2026 में 10 वर्ष पूरे हो जाएंगे। आठवें वेतन आयोग के गठन में काफी देरी हो रही है। इसलिए अब सरकार से लगातार
मांग की जा रही है कि वो आयोग के गठन में अब देरी न करे।
सूत्र बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के आम बजट से पहले सरकार आयोग के गठन को लेकर कोई फैसला ले सकती है। अगर आठवें वेतन आयोग में वेतनमान बढ़ोतरी के लिए सातवें वेतन आयोग की तर्ज पर फिटमेंट फैक्टर को अपनाया जाता है तो इससे मूल वेतन में अच्छी खासी बढ़ोतरी होगी।
कर्मचारी संगठन ज जुलाई से उठा रहे हैं मांग
नए वेतन आयोग के गठन को लेकर लगातार मांग उठ रही है। एनसी- जेसीएम ने जुलाई में तत्कालीन कैबिनेट सचिव से मिले। उसके बाद अगस्त 2024 में फिर से अपने मांग उठाया। अब एक बार फिर से वेतन आयोग के गठन की मांग उठ रही है। उधर, जानकार यह भी बताते हैं कि केंद्र सरकार वेतन आयोग का गठन न करके वेतनमान में वृद्धि के लिए कोई दूसरा फॉर्मूला भी निकाल सकती है, जिसमें महंगाई समेत अन्य पहलुओं का भी ध्यान रखा जाएगा। इसमें न्यूनतम वेतन को बढ़ाए जाने का भी फैसला हो सकता है, जिस पर अंतिम फैसला अगले कुछ महीनों के अंदर होने की संभावना है।