● सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का फैसला खारिज
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उप्र. सरकारी कर्मचारी (अनुशासन और अपील) नियम, 1999 के तहत जांच में बड़ी सजा का प्रस्ताव होने पर लोक सेवक के खिलाफ आरोपों के सापेक्ष मौखिक साक्ष्य दर्ज करना अनिवार्य है।
शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें एक अखिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक प्राधिकारी के आदेश की पुष्टि की गई थी। वाणिज्य कर के सहायक आयुक्त के पद पर तैनात अधिकारी को अनुशासनात्मक कार्यवाही का सामना करना पड़ा था। अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने नवंबर 2014 में निंदा प्रविष्टि की सजा के साथ-साथ दो ग्रेड वेतन वृद्धि रोकने का आदेश दिया था। अफसर ने लोक सेवा न्यायाधिकरण, लखनऊ के समक्ष जुर्माना लगाने के आदेश को चुनौती दी थी। पीठ ने कहा, हाईकोर्ट ने न्यायाधिकरण के सही निर्णय में गंभीर त्रुटि की है।