लखनऊ। प्रदेश के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों का वितरण अचानक रोक दिया गया। इसकी जानकारी मिलने पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओपी राजभर ने नाराजगी जताते हुए 9 सितंबर 2024 को अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसकी रिपोर्ट तलब की, लेकिन करीब ढाई माह से अधिक समय बीतने के बाद
भी जवाब नहीं दिया गया है।
प्रदेश में वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद गठित प्रगतिवादी मदरसा बोर्ड ने 15 मई 2018 को मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने का आदेश
दिया था। इसका शासनादेश 30 मई 2018 को जारी हुआ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सभी मान्यताप्राप्त व अनुदानित मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का आदेश दिया था। इस पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने तीन साल तक एनसीईआरटी किताबें वितरित कीं, लेकिन वर्ष 2023 में बिना उच्चस्तरीय अनुमोदन लिए इसे रोक दिया गया।
दबाव में पीछे किए कदम :
मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद की
अध्यक्षता में 18 जनवरी 2023 को हुई बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग की तरह एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने पर सहमति बनी थी। लेकिन बाद में बोर्ड ने अपने पहले के फैसले को पलटते हुए एनसीईआरटी की जगह बेसिक शिक्षा विभाग की किताबों को वितरित करने की मंजूरी दी।
हालांकि यह भी बताया जा रहा है यह सब शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के दबाव में किया गया.
मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों का वितरण रोक दिया गया है। इस पर जवाब मांगा है।
– ओमप्रकाश राजभर, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री