इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिप्टी एसपी लक्ष्मी सिंह चौहान को पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर रिवर्ट करने का सरकार का आदेश निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने लक्ष्मी सिंह चौहान को डिप्टी एसपी के पद पर बहाल कर करते हुए लोक सेवा आयोग की डिप्टी एसपी से इंस्पेक्टर बनाने की संस्तुति भी निरस्त कर दी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और सरकारी वकील को सुनकर दिया है। याची लक्ष्मी सिंह चौहान गाजियाबाद में निरीक्षक के पद पर वर्ष 2019 में कार्यरत थीं। उस दौरान याची व छह अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध 25 सितंबर 2019 को तत्कालीन डिप्टी एसपी साहिबाबाद ने आईपीसी की धारा 409 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 में थाना लिंक रोड में एफआईआर दर्ज कराई। याची व अन्य पुलिसकर्मियों के पर आरोप था कि अभियुक्त राजीव सचान निवासी गौतमबुद्धनगर को 31 लाख रुपये के साथ एवं अभियुक्त आमिर को 14 लाख 81 हजार पांच सौ रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में अभियुक्त राजीव कुमार ने अपने पास लगभग 55 लाख रुपये एवं अभियुक्त आमिर ने अपने पास से लगभग 60-70 लाख रुपये बरामद होना बताया। बरामद धनराशि एवं अभियुक्तों द्वारा पूछताछ में बताई गई धनराशि में लगभग 70-80 लाख रुपये का अंतर बताया गया। उक्त क्रिमिनल केस में याची सहित सभी छह अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध पुलिस ने आईपीसी की धारा 409/411 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 7/13 में आरोप पत्र दाखिल किया। हाईकोर्ट ने याची को नोटिस जारी किया और विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ के आदेश को अग्रिम आदेश तक स्थगित कर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 23 अप्रैल 2022 को याची के बैच के 33 इंस्पेक्टरों को डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति दी गई। याची को क्रिमिनल केस विचाराधीन होने के कारण डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति नहीं दी गई।