लखनऊ, । पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के फैसले से 77,491 कार्मिक पशोपेश में हैं। कर्मचारियों की इस बेचैनी के हवाले से विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आंदोलनात्मक कार्यक्रमों में कर्मचारियों को एकजुट करने का प्रयास तेज कर दिया है।
- डी०एल०एड० द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर परीक्षा वर्ष-2025 हेतु प्रशिक्षण पूर्ण कर चुके अभ्यर्थियों के ऑनलाइन आवेदन पत्र पूरित कराये जाने के सम्बन्ध में
- अवकाश के सम्बन्ध में पूरे उत्तर प्रदेश के लिए नया आदेश जारी।
- विद्यालयों में ‘कविता पाठ प्रतियोगिता के आयोजन के संबंध में।
- ARP Selection 2025-26 : समग्र शिक्षा के अन्तर्गत स्थापित न्याय पंचायत संसाधन केन्द्रों एवं ब्लॉक संसाधन केन्द्रों के पुनर्गठन हेतु निर्गत शासनादेश के कम में अकादमिक रिसोर्स पर्सन्स (ए०आर०पी०) के चयन के सम्बन्ध में
- प्री-प्राइमरी शिक्षा के अन्तर्गत Mother Orientation के सम्बन्ध में यू-ट्यूब सेशन का आयोजन।
संघर्ष समिति द्वारा जगह जगह पोस्टर चस्पा किए गए हैं, जिसमें मोटे अक्षरों में लिखा है कि निजीकरण से बड़े पैमाने पर छंटनी होगी। लिखा है कि निजीकरण होने पर पूर्वांचल व दक्षिणांचल निगम में अभियंता संवर्ग के 1519 तथा अवर अभियंता संवर्ग के 2154 पद समाप्त हो जाएंगे। इन दोनों बिजली कंपनियों से इतर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में 385 पद रिक्त हैं। इस लिहाज से अभियंता व अवर अभियंता संवर्ग के कुल 385 कार्मिक ही समायोजित किए जा सकेंगे। जिसका सीधा अर्थ यह है कि इन दोनों संवर्गों में बड़े पैमाने पर छंटनी तय है।
इनके अलावा पूर्वांचल में 15236 तथा दक्षिणांचल में 8582 कर्मचारी हैं। यह कामन कैडर से हैं। इन कर्मचारियों के सामने विकल्प होगा कि वे निजी कंपनी का कर्मचारी बनना स्वीकार कर लें। निजी कंपनी उन्हें अपनी सेवा में लेने को तैयार नहीं होती है तो इनकी छंटनी भी तय है। इसके बाद दोनों कंपनियों में आउटसोर्स कर्मियों की संख्या 50 हजार के करीब है। इनकी सेवाएं स्वयं समाप्त हो जाएंगी।