हाईकोर्ट का सरकार को आदेश, एटा की सहायक अध्यापिका ने बच्चे की बीमारी के आधार मांगा था तबादला
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को मानसिक विकार से जूझते बच्चों के समग्र विकास के लिए हर जिले में शिक्षा और चिकित्सा की विशेष व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। कहा है कि सूबे के कई जिलों में मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए उन्नत चिकित्सा सुविधाओं, शैक्षिक अवसरों और
प्रणालियों का अभाव है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की अदालत ने एटा के प्राइमरी स्कूल में तैनात सहायक

- स्थलीय निरीक्षण कर SMC की मीटिंग कर अभिभावकों को संवाद स्थापित कर शासकीय आदेशानुसार युग्मन की कार्रवाई के संबंध में जिले का आदेश
- Primary ka master: शुरूआत हो गई✍️ विद्यालयों को युग्मित्त (pairing) करने के सम्बन्ध में आख्या का प्रेषण ।
- Indian railway Announcement : महत्वपूर्ण घोषणा। 📢यात्रियों की बल्ले बल्ले, ₹3000 हजार दीजिए और साल भर हाइवे पर आराम से सफ़र कीजिए, बिना टोल दिए
- परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं कम्पोजिट विद्यालयों में शैक्षणिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों के संचालन के संबंध में।
- Salary saving : सैलरी आते ही होती है खत्म ? अपनाएं 40-30-20-10 रूल ?
अध्यापिका शिवानी की ओर से स्थानांतरण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याची का कहना था कि उसका बेटा मानसिक विकार (ऑटिज्म) से पीड़ित है। उसका बेहतर इलाज नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली में ही हो सकता है। इसलिए उसका तबादला एटा से नोएडा या गाजियाबाद कर दिया जाए।
वहीं, शिक्षा विभाग की ओर से
पेश अधिवक्ता अर्चना सिंह ने कोर्ट को बताया कि नोएडा या गाजियाबाद में पद खाली नहीं है। भविष्य में सरकार कोई स्थानांतरण नीति लागू करती है तो याची तबादले के लिए आवेदन करने को स्वतंत्र है। हालांकि, स्थानांतरण नौकरी हिस्सा है, निहित अधिकार के रूप में कर्मचारी मनचाहे तबादले की मांग नहीं कर सकते। कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।