लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने नवजात बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं (धात्रियों) के स्वास्थ्य की हिफाजत के मामले में प्रदेश के करीब दो लाख आंगनबाड़ी केंद्रों की विशेषज्ञ अध्ययन रिपोर्ट दाखिल
मैसूर की रक्षा खाद्य अनुसंधान लैब को पोषाहार की मात्रा, गुणवत्ता का अध्ययन कर देनी है रिपोर्ट
करने को केंद्र सरकार को दो सप्ताह का और समय दिया है।

- स्थलीय निरीक्षण कर SMC की मीटिंग कर अभिभावकों को संवाद स्थापित कर शासकीय आदेशानुसार युग्मन की कार्रवाई के संबंध में जिले का आदेश
- Primary ka master: शुरूआत हो गई✍️ विद्यालयों को युग्मित्त (pairing) करने के सम्बन्ध में आख्या का प्रेषण ।
- Indian railway Announcement : महत्वपूर्ण घोषणा। 📢यात्रियों की बल्ले बल्ले, ₹3000 हजार दीजिए और साल भर हाइवे पर आराम से सफ़र कीजिए, बिना टोल दिए
- परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं कम्पोजिट विद्यालयों में शैक्षणिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों के संचालन के संबंध में।
- Salary saving : सैलरी आते ही होती है खत्म ? अपनाएं 40-30-20-10 रूल ?
पहले, कोर्ट ने इसके लिए मैसूर की रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक को आदेश दिया था कि केंद्रों से मिलने वाले पोषाहार की मात्रा, गुणवत्ता का अध्ययन कर 4 हफ्ते में रिपोर्ट पेश करें। लेकिन सुनवाई के समय यह पेश नहीं की जा सकी। केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने इसके लिए और समय देने का आग्रह किया। जिस पर, कोर्ट ने लैब के निदेशक को दो सप्ताह का समय देकर मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को नियत की है। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश शिप्रा देवी की जनहित याचिका पर दिया। याची ने प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों को आपूर्ति किए जाने वाले पोषाहार की मात्रा व गुणवत्ता समेत इसके वितरण में कथित धांधली का मुद्दा उठाया है।