महराजगंज। बेसिक शिक्षा विभाग में जालसाजों का गहरा नेटवर्क है। यही वजह है कि फर्जी शिक्षकों की भरमार है। अब तक 18 शिक्षकों पर केस दर्ज हो चुका है। जांच में उनके दस्तावेज फर्जी पाए गए।
हैरानी की बात है कि कुछ शिक्षक ऐसे हैं जिनकी शिकायत भी की गई पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दूसरी ओर एसटीएफ की जांच में उनके दस्तावेजों को फर्जी करार दे दिया गया है, लेकिन वह भी फाइल जांच की आड़ में धूल फांक रही है। सिसवा ब्लाॅक के एक स्कूल में तैनात एक शिक्षक की शिकायत जून में हुई थी। शिक्षक के प्रमाण-पत्रों के फर्जी होने का आरोप लगा था। मामला आगे बढ़ा तो जांच शुरू हुई। सूत्र बताते हैं कि शिक्षक के प्रमाण-पत्रों में झोल है। एसटीएफ की जांच में प्रमाण-पत्र को फर्जी करार दिया गया। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से खंड शिक्षा अधिकारी को जांच सौंपी गई। शिक्षक को अपना पक्ष देने के लिए कहा गया।
उसने बताया कि मेरा प्रमाण-पत्र दूसरा है। जिसे फर्जी करार दिया जा रहा है, वह हमारा नहीं है। हैरानी की बात है कि मानव संपदा पोर्टल पर जो डिग्री अपलोड है, उसमें भी अंतर है। इतने बड़े झोल को लेकर जिम्मेदारों ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। नियम कानून के पेच में आरोपी शिक्षक बच जा रहे हैं। मामले में जांच आगे बढ़ रहा है तो फर्जीवाड़े की पोल खुल रही है।
सूत्रों की मानें तो फर्जीवाड़े से जुड़े कार्याें में विभाग के कुछ लोग शामिल हो सकते हैं। इनका पूरा नेटवर्क में इसमें शामिल हो सकता है। न्यायालय से जुड़े मामलों को देखने के लिए विभाग की ओर से ऐसे बाबू को जिम्मेदारी दी है, जो स्वयं ही विवादों में घिरा रहता है। सर्व शिक्षा अभियान में घोटाले से लेकर एडेड स्कूल की भर्ती में गड़बड़ झाला होने में एक बाबू का हाथ बताया जाता है। विभाग के बड़े अफसर भी उसके मामलों में हाथ डालने से परहेज करते हैं।
सूत्रों की मानें तो कानूनी पेंच में माहिर बाबू ने अपने करीबी की भर्ती भी कराई तो वह भी विवादों में घिर गई। मामला न्यायालय में लंबित है। उधर, एक के बाद एक फर्जी शिक्षकों की पोल खुलने के बाद खलबली मची है। मामले में जांच जारी है। बीते दिन एक अध्यापिका पर केस दर्ज हुआ है। तहरीर के मुताबिक अध्यापिका का गांव और तहरीर देने वाले खंड शिक्षा अधिकारी का गांव एक ही है।