Home PRIMARY KA MASTER NEWS सरकारी स्कूल में पढ़ाना केवल एक पेशा नहीं, बड़ा चैलेंज है

सरकारी स्कूल में पढ़ाना केवल एक पेशा नहीं, बड़ा चैलेंज है

by Manju Maurya

कानपुर। सरकारी स्कूल में पढ़ाना केवल एक पेशा नहीं बल्कि एक संवेदनशील और गहरी प्रक्रिया है। यह वह यात्रा है जहां शिक्षक न केवल किताबों से ज्ञान देते हैं बल्कि बच्चों के जीवन, उनकी चुनौतियों और उनके सपनों के साथ आत्मीय संबंध बनाते हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अक्सर समाज के उस तबके से आते हैं जो आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा होता है। इन बच्चों के लिए स्कूल जाना एक सपने की तरह है जहां वे अपने भविष्य के के के बेहतर रास्ते की तलाश में आते हैं लेकिन इसके साथ ही उनके कंधों पर अपने परिवारों की जिम्मेदारियां और समाज की कड़वी सच्चाइयां भी होती हैं। जब एक शिक्षक सरकारी स्कूल में प्रवेश करता है तो उसके सामने केवल ब्लैकबोर्ड और किताबें नहीं होतीं बल्कि उन बच्चों के जीवन की एक अनकही कहानी होती है जो उसके सामने बैठकर उसकी और उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे होते हैं। ये बच्चे किसी अमीर घर से नहीं आते वे गाड़ियों से स्कूल नहीं पहुंचते। अक्सर वे धूल भरी पगडंडियों से कभी-कभी भूखे पेट स्कूल आते हैं। उनके लिए शिक्षा एक विलासिता की तरह है लेकिन फिर भी उनके दिल में एक उम्मीद होती है कि शायद यह स्कूल यह शिक्षक उनकी जिन्दगी बदल सकता है। एक शिक्षक के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सिर्फ विषयों को किताबें न पढ़ाएं बल्कि उनके जीवन की कठिनाइयों को समझें। जब हम उनके संघर्षों को महसूस करते हैं तो पढ़ाई केवल एक औपचारिकता नहीं रह जाती।

वह एक मिशन बन जाती है जिसमें हम उनके भविष्य के लिए एक मजबूत नींव डाल रहे होते हैं। बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जो स्कूल के बाद खेतों में काम करते हैं, छोटे-मोटे काम करके अपने परिवार का सहयोग करते हैं। वे केवल छात्र नहीं हैं वे उस समाज का हिस्सा है जो जीवन के संघर्ष में तप कर बड़ा हो रहा है। उनकी आँखों में कई बार थकान, भूख और समाज की कठोर सच्चाई की छाया दिखती है लेकिन उनके भीतर एक आग होती है कुछ बनने की कुछ हासिल करने की। शिक्षक का काम सिर्फ उन्हें पाठ पढ़ाना नहीं होता बल्कि उनके मनोबल को बढ़ाना उन्हें यह एहसास दिलाना होता है कि उनके जीवन की परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों वे अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षक अक्सर एक ऐसे समाज में काम कर रहे होते हैं जहां संसाधनों की कमी होती है। कई बार न तो पर्याप्त किताबें होती हैं न ही सुविधाएं लेकिन इन परिस्थितियों के बावजूद शिक्षक और बच्चों के बीच जो बंधन बनता है वह किसी भी साधन से अधिक मजबूत होता है। शिक्षक बच्चों के जीवन की कठिनाइयों को समझकर उनके लिए एक नई राह बनाते हैं। जब वे एक बच्चे के साथ बैठकर उसके सपनों को सुनते हैं तो वह बच्चा न केवल पढ़ाई में रुचि दिखाता है बल्कि खुद पर विश्वास करने लगता है। कई बार एक शिक्षक खुद को असहाय महसूस करता है। वह देखता है कि बच्चे घर पर पढ़ाई करने की बजाय परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों को उठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन फिर भी एक शिक्षक की सबसे बड़ी जीत तब होती है

जब वह अपने छात्रों को उस संघर्ष से ऊपर उठने की प्रेरणा दे पाता है। अक्सर यह प्रेरणा केवल शब्दों में नहीं होती बल्कि वह उस स्नेह और समझ में होती है जो एक शिक्षक अपने छात्रों के प्रति दिखाता है। जब एक बच्चा देखता है कि उसका शिक्षक उसकी परेशानियों को समझता है तो उसके भीतर कुछ बदलता है। वह अपने भविष्य के लिए और अधिक मेहनत करने को तैयार हो जाता है। सरकारी स्कूल में पढ़ाना केवल पढ़ाना नहीं बल्कि एक यात्रा है एक ऐसी यात्रा जहां शिक्षक अपने छात्रों के साथ-साथ उनके परिवारों, उनके समाज और उनकी रोजमर्रा की लड़ाइयों का हिस्सा बनता है। यह एक ऐसा काम है जो किताबों से आगे बढ़कर जीवन के असल अनुभवों में फैल जाता है। आज जब हम सरकारी स्कूलों के बच्चों की बात करते हैं तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके पास हर सुविधा नहीं होती लेकिन उनके पास एक अनमोल चीज होती है उम्मीद और जब एक शिक्षक उस उम्मीद को सही दिशा में ले जाता है तो वह एक नए भविष्य का निर्माण करता है। हमेशा की तरह यह सफर आसान नहीं होता। संसाधनों की कमी, समाज का दबाव, और बच्चों की कठिनाइयों के बीच, शिक्षक कई बार खुद भी थक जाते हैं लेकिन हर दिन जब वे अपने छात्रों की आँखों में देख पाते हैं कि उनके शब्दों, उनके प्रयासों का असर हो रहा है तो वह थकान गायब हो जाती है। सरकारी स्कूल में पढ़ाना केवल एक नौकरी नहीं है।

Related Articles

PRIMARY KA MASTER NOTICE

✍नोट :- इस ब्लॉग की सभी खबरें Google search से लीं गयीं, कृपया खबर का प्रयोग करने से पहले वैधानिक पुष्टि अवश्य कर लें, इसमें BLOG ADMIN की कोई जिम्मेदारी नहीं है, पाठक ख़बरे के प्रयोग हेतु खुद जिम्मेदार होगा!

PRIMARY KA MASTER

PRIMARY KA MASTER | primary ka master current news | primarykamaster | PRIMARY KA MASTER NEWS | primarykamaster news | up primary ka master | primary ka master | up ka master | uptet primary ka master | primary ka master com | प्राइमरी का मास्टर | basic siksha news | upbasiceduparishad |up basic news | basic shiksha parishad | up basic shiksha parishad | basic shiksha | up basic shiksha news | basic shiksha parishad news | basic news | up basic shiksha | basic shiksha news today | बेसिक शिक्षा न्यूज | बेसिक शिक्षा समाचार |basicshikshakparivar| basic shikshak parivar | basic shiksha samachar | basic ka master | basic shiksha com | up basic education news | basic shiksha vibhag | up basic shiksha latest news | Basicshikshak | up basic shiksha parishad news | uptet news | uptet latest news | uptet help | uptet blog | up tet news| updatemarts | update mart | SUPER TET | uptet latest news | uptetnews | www updatemarts com| updatemartsnews | ctet | d.el.ed | updeled | tet news | gurijiportal | upkamaster | basicshikshakhabar | primarykateacher | Shikshamitra | up shiksha mitra | shikhsa mitra news | govtjobsup | rojgarupdate | sarkari results | teachersclubs | sarkari master | sarkariresults| shasanadesh | tsctup |basicmaster | Basicguruji | sarkari rojgar

© Basic Shiksha Khabar | PRIMARY KA MASTER | SHIKSHAMITRA | Basic Shiksha News | UpdateMarts | Primarykamaster | UPTET NEWS

icons8-whatsapp-96