प्रयागराज। यूपीपीएससी के 87 साल के इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी भर्ती में गड़बड़ियों की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया हो। आयोग के खिलाफ बीते दशकों में कई बार गंभीर आरोप लगे। हंगामा हुआ, आंदोलन हुए।
कई दिनों तक घेराबंदी भी हुई। इसके बाद जांच में सीबीआई और एसटीएफ को लगाया गया, लेकिन पीसीएस-जे 2022 पहली परीक्षा है, जिसकी जांच न्यायिक आयोग करेगा।
वर्ष 2012 के बाद करीब चार साल का दौर आयोग के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। पीसीएस समेत कई भर्तियों में धांधली का आरोप लगाते हुए प्रतियोगियों ने बड़ा आंदोलन चलाया। मुद्दा विधानसभा से लेकर संसद तक गूंजा। प्रतियोगियों की याचिका पर सारे दस्तावेजों की पड़ताल के बाद हाईकोर्ट ने यूपीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव की नियुक्ति को अवैध करार दिया था। तत्कालीन सचिव को भी पद से हटाना गया
था। प्रतियोगियों के आंदोलन के दबाव में आई प्रदेश सरकार ने आयोग की 2012 से 2017 के बीच की गई 588 भर्तियों की सीबीआई जांच का आदेश भी दिया। 2017 में शुरू हुई यह जांच सात साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है।
यह मामला शांत हुआ ही था कि एलटी ग्रेड भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को जेल जाना पड़ा। एसटीएफ ने उनकी गिरफ्तारी की थी। अभी इसका शोर थमा भी नहीं था कि आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा का पेपर आउट हो गया।
प्रतियोगियों के आंदोलन के बाद परीक्षा निरस्त कर मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई है। इस मामले में एसटीएफ ने सोमवार को ही दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पिछले दिनों प्रतियोगियों ने पीसीएस और आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन कराने को लेकर बड़ा आंदोलन चलाया था, जिसके बाद आयोग को कदम पीछे करने पड़े थे।