विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने शिक्षकों की छुट्टियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये नियम UGC रेगुलेशन 2025 के मसौदे में शामिल हैं। अब शिक्षक छुट्टी को अपना हक नहीं मान सकेंगे। छुट्टी मंजूर करने का अधिकार अब संबंधित अधिकारी के पास होगा। अधिकारी किसी भी तरह की छुट्टी रद्द कर सकता है। हालांकि, अनुशासनात्मक कार्रवाई के अलावा शिक्षकों को छुट्टी लेने से नहीं रोका जाएगा। ये नियम सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर लागू होंगे।
बीमारी के नाम पर छुट्टी लेने वाले शिक्षकों पर सख्ती
दरअसल, यूजीसी के नए नियमों में बार-बार बीमारी के नाम पर छुट्टी लेने वाले शिक्षकों पर सख्ती बरती जाएगी। ऐसे शिक्षकों को मेडिकल जांच के लिए भेजा जाएगा। जांच के बाद ही तय होगा कि शिक्षक को वाकई आराम की जरूरत है या नहीं। इससे फर्जी मेडिकल छुट्टियों पर रोक लगेगी।
यूजीसी ने शिक्षकों के लिए पांच सामान्य कर्तव्य भी तय किए हैं। नए नियमों के तहत शिक्षकों को केवल उनके अनुरोध पर ही छुट्टी दी जाएगी। हालांकि, अधिकारी शिक्षक की मर्जी के बिना भी छुट्टी मंजूर कर सकता है, लेकिन छुट्टी की अवधि नहीं बदल सकता। छुट्टी के दौरान शिक्षक किसी दूसरे काम या व्यापार में शामिल नहीं हो सकते। चाहे वह काम फुल टाइम हो या पार्ट टाइम। हालांकि, कुछ खास परिस्थितियों में छूट दी जा सकती है।
मेडिकल छुट्टी को अब रजिस्टर्ड डॉक्टर का सर्टिफिकेट
मेडिकल छुट्टी के लिए अब रजिस्टर्ड डॉक्टर का सर्टिफिकेट जरूरी होगा। इस सर्टिफिकेट में बीमारी की पूरी जानकारी और उसकी संभावित अवधि लिखी होनी चाहिए। यह सर्टिफिकेट सिर्फ एमबीबीएस या उसके बराबर योग्यता वाले डॉक्टर ही दे सकते हैं। मेडिकल छुट्टी खत्म होने के बाद शिक्षक को अपनी फिटनेस का सर्टिफिकेट भी जमा करना होगा। अगर शिक्षक तय समय पर काम पर नहीं लौटता है, तो उसे ‘ओवरस्टे’ माना जाएगा। ऐसे में उसका वेतन काटा जा सकता है और इसे कदाचार माना जाएगा। हालांकि, अधिकारी चाहें तो माफी भी दे सकते हैं।
शिक्षा व्यवस्था में होगा सुधार
दरअसल, यूजीसी का मानना है कि इन नए नियमों से शिक्षा व्यवस्था में सुधार आएगा। छुट्टियों को लेकर होने वाली गड़बड़ियों पर रोक लगेगी। शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभा पाएंगे। छात्रों को भी इसका फायदा मिलेगा। क्योंकि शिक्षक कक्षा में नियमित रूप से उपस्थित रहेंगे। इन नियमों का उद्देश्य शिक्षकों और छात्रों दोनों के हितों की रक्षा करना है। इससे शिक्षा का स्तर ऊंचा उठेगा। और देश का भविष्य उज्जवल होगा। यूजीसी के इन कदमों से शिक्षा जगत में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है।