हसनपुर (अमरोहा)। दुष्कर्म के आरोपी को बचाने के लिए प्रधानाचार्य ने नाबालिग को बालिग बना दिया। पीड़िता के परिजनों ने चार जनवरी को संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायत की तो प्रशासन हरकत में आया। अब पुलिस ने दुष्कर्म पीड़िता की फर्जी टीसी जारी करने में निजी स्कूल के प्रधानाचार्य और आरोपी के पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। फिलहाल, पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
हसनपुर क्षेत्र के गांव निवासी 15 वर्षीय किशोरी से गांव के ही युवक ने मार्च 2024 में दुष्कर्म किया था। दुष्कर्म के बाद किशोरी गर्भवती हो गई। सात माह की गर्भवती होने के बाद परिजनों किशोरी के साथ हुई घटना की जानकारी हुई। पांच अक्तूबर को किशोरी का प्रसव कराया गया। इस दौरान जन्म के कुछ समय बाद ही नवजात की मौत हो गई। मामले में किशोरी के परिजनों ने गांव के ही धर्मसिंह के खिलाफ दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया।
हालांकि, चार जनवरी को दुष्कर्म पीड़िता का भाई संपूर्ण समाधान दिवस में पहुंचा। उसने बताया कि उसकी बहन अनपढ़ है, लेकिन गुष्कर्म आरोपी के पिता ने न्यायालय से आरोपी बेटे को राहत दिलाने के उद्देश्य से उसकी बहन का सैदनगली क्षेत्र के एक निजी स्कूल से कक्षा आठ की टीसी बनवाकर कोर्ट में लगाई दी। फर्जी टीसी में दुष्कर्म पीड़िता की आयु 19 वर्ष दर्शाई गई है, जबकि उसकी आयु
15 वर्ष है। फर्जी टीसी के जरिए आरोपी को मुकदमे में बड़ी राहत मिल गई है।
सीओ दीप कुमार पंत ने बताया कि शिकायत के आधार पर सैदनगली क्षेत्र गांव भटौला शर्को स्थित महाराज शूरसेन जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाचार्य रामस्वरूप और दुष्कर्म के आरोपी के पिता के खिलाफ धोखाधड़ी, जानबूझकर कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के मामले रिपोर्ट दर्ज की गई है। मामले की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
आरोपी को फायदा पहुंचाने के लिए रचा खेल
दुष्कर्म के आरोपी को फायदा पहुंचाने के लिए स्कूल प्रधानाचार्य और उसके पिता ने टीसी में आयु बढ़ाने का खेल रचा है। क्योंकि पीड़िता नाबालिग है। मामले में आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। विशेष लोक अभियोजक बसंत सिंह सैनी ने बताया कि पॉक्सो एक विशेष एक्ट है। 18 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ होने वाले अपराध में पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई होती है। पॉक्सो एक्ट में दुष्कर्म के दोषी को उसके अपराध के अनुसार आजीवन कारावास या मृत्यु दंड तक का प्रावधान है। यदि पोड़िता बालिग है तो ऐसे मामले में दुष्कर्म के दोषी को 20 साल तक की सजा का प्रावधान है। इस मामले में भी यही हुआ है। पॉक्सो एक्ट के बचने के शैक्षिक प्रमाण पत्र में दुष्कर्म पीड़िता की उम्र 19 साल दर्शाई गई। जबकि हकीकत में पीड़िता की उम्र 15 साल बताई गई है।
दो बार जांच के लिए स्कूल पहुंचे नहीं मिले प्रधानाचार्य : बीईओ
हसनपुर। दुष्कर्म पीड़िता की फर्जी टीसी जारी करने के प्रकरण की बीईओ हसनपुर जांच कर रहे है। चार जनवरी को संपूर्ण समाधान में दुष्कर्म पीड़िता के भाई ने प्रार्थनापत्र देकर मामले की शिकायत की थी। डीएम निधि गुप्ता वत्स ने तत्काल मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रकरण की जांच बीएसए को दी थी। इसके बाद बीएसए ने हसनपुर के बीईओ उदयवीर सिंह को जांच सौंपी थी। बीईओ का कहना है कि दो बार जांच के लिए विद्यालय गए, लेकिन प्रबंधक या प्रधानाचार्य में से कोई नहीं मिला है। वर्तमान में विद्यालय संचालित नहीं है। बंद चल रहा है। जल्द ही जांच पूरी कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी।
कुछ निजी स्कूल के मालिक और प्रधानाचार्य अपना व्यक्तिगत लाभ लेते हुए फर्जी आयु प्रमाणपत्र जारी कर देते हैं। जिससे आरोपी को फायदा मिल सके। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था है कि शैक्षिक प्रमाणपत्र के साथ पीड़िता की आयु का मेडिकल कराया जाना अनिवार्य है। इसलिए पीड़िता की आयु का मेडिकल भी कराया जाता है। पहले भी शैक्षिक प्रमाणपत्रों में आयु में छेड़छाड़ के मामले सामने आए हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि इस तरह की पुनरावृत्ति न हो। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसमें संज्ञान लेना चाहिए। बसंत सिंह सैनी, विशेष -लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट
संबंधित प्रकरण हमारी जानकारी में है। बीएसए को स्कूल के संबंध में जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि स्कूल के द्वारा किसी तरह का फर्जीवाड़ा किया गया है तो तत्काल उसकी मान्यता रद्द करने के भी निर्देश दिए हैं। निधि गुप्ता वत्स, डीएम
इन धाराओं में दर्ज हुई रिपोर्ट
सीओ दीप कुमार पंत ने बताया कि स्कूल प्रधानाचार्य और दुष्कर्म आरोपी के पिता के खिलाफ वीएनएस की भारा 318(4), 338, 336(3), 340(2) के तहत केस दर्ज किया गया है।