लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के व्यावहारिक अर्थशास्त्र विभाग में शिक्षक प्रो. विमल जायसवाल पर फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने और अन्य आरोपों की जांच के लिए शासन ने जांच समिति गठित की है। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में बनी चार सदस्यीय समिति जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट भेजेगी। यह आदेश उच्च शिक्षा विभाग में विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी ने जारी किया है। जांच समिति में उच्च शिक्षा विभाग में संयुक्त सचिव डीपी शाही, चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के कुलसचिव धीरेंद्र कुमार और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी प्रो. सुधीर शामिल होंगे.
प्रो. विमल पर आरोप है कि उन्होंने 2005 में सहायक प्रोफेसर के पद पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नॉन क्रीमीलेयर कोटे में फर्जी तरह से नियुक्ति हासिल की। उन पर परीक्षा केंद्रों का मनमाने तरीके से निर्धारण, शिक्षकों की नियुक्तियों में अनियमिताओं और अंकों में हेरफेर करने का भी आरोप है।
विभाग में कई शोधार्थियों का शोषण करने की शिकायतें भी उनके खिलाफ दर्ज की गई हैं। अधिवक्ता रोहितकांत की तीन दिसबंर को शिकायत का संज्ञान लेते हुए शासन ने प्रो. विमल के खिलाफ यह जांच समिति बनाई है।
पिता भी लविवि में रहे हैं शिक्षक
प्रो. विमल जायसवाल के पिता प्रो. सियाराम जायसवाल लविवि के वाणिज्य विभाग में शिक्षक रहे हैं। वे उच्च शिक्षा आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। आरोप है कि पिता के रसूख और पहुंच के चलते प्रो. विमल ने नियुक्ति हासिल कर ली। शहर के ही एक शिक्षण संस्थान में उनके भाई पर भी ऐसे ही आरोपों में कार्रवाई हो चुकी है। हालांकि, बाद में उन्हें बहाल कर दिया गया था।
जांच समिति बनने की जानकारी नहीं
मेरे खिलाफ जांच समिति गठित होने की जानकारी नहीं है। कोई पत्र मिलता है तो उचित फोरम इसका जवाब दिया जाएगा।
प्रो. विमल जायसवाल, शिक्षक लविवि
उप लोकायुक्त से भी की गई शिकायत
प्रो. विमल के खिलाफ उप लोकायुक्त के यहां भी शिकायत दर्ज कराई गई है। इस पर सुनवाई करते हुए प्रभारी सचिव की ओर से उन्हें 20 फरवरी तक उप लोकायुक्त के यहां पक्ष रखने के निर्देश दिए गए हैं। विधायक अभय सिंह उनकी नियुक्ति को गलत मानते हुए विधानसभा में नियम 51 के तहत सूचना मांग चुके हैं।