लखनऊ। स्थानांतरण या समायोजन की दोषपूर्ण नीतियों के कारण प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के 19 फीसदी से अधिक प्राइमरी स्कूल शिक्षक विहीन हो गए हैं। वहीं करीब 12 प्रतिशत स्कूल शिक्षा मित्रों के भरोसे हैं और ये भी शिक्षक विहीन विद्यालयों की श्रेणी में आते जा रहे हैं।
हालत है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में कुल 5,104 परिषदीय स्कूल हैं, जिनमें से 3906 प्राइमरी स्कूल हैं जबकि 1198 अपर प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें से 970 स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं।
दरअसल, सरकार ने वर्ष 2011 के बाद ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों का तबादला ही नहीं किया है। न ही शहरी क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों का कोई
समायोजन ही किया गया। शहरी क्षेत्र जहां शिक्षकों की कमी पहले से ही थी शिक्षकों की हर साल हो रही सेवानिवृति के बाद स्कूल शिक्षक विहीन होते चले जा रहे हैं। अन्य महानगरों या शहरी क्षेत्रों की बात
छोड़िए राजधानी लखनऊ में ही शहरी क्षेत्र के 297 प्राइमरी स्कूलों में से 60 स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला महामंत्री वीरेन्द्र सिंह कहते हैं, 2011 में ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों का समायोजना किया गया था। उसके बाद से आज तक ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में एक भी शिक्षक का समायोजन नहीं हुआ, जिसका नतीजा यह है कि एक के बाद एक शहरी क्षेत्र के स्कूल शिक्षक विहीन होते जा रहे हैं।