नई दिल्ली। पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा इन्सानों की सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाती है, लेकिन सबसे ज्यादा असर बच्चों के आईक्यू लेवल पर देखा गया है। यह बच्चों की बुद्धिमानी को कम कर रहा है। पहली बार वैज्ञानिकों ने बच्चों में फ्लोराइड एक्सपोजर और आईक्यू लेवल के बीच संबंध के सुबूत जुटाए हैं। भूजल या सरकारी जलापूर्ति में फ्लोराइड की मात्रा अगर तय सीमा से अधिक है और उसका एक्सपोजर बार-बार हो रहा है तो बच्चों में उनका आईक्यू का स्तर उतना ही कम होने की आशंका बढ़ जाती है। यह शोध जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित किया गया है। इसमें 10 देशों के शोधकर्ताओं ने भारत, चीन, कनाडा, डेनमार्क, ईरान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, स्पेन व ताइवान में अध्ययन किया। भारत में यह शोध यूपी समेत 23 राज्यों में किया गया है। शोधकर्ताओं ने बच्चों के मूत्र में फ्लोराइड की मात्रा एक मिलीग्राम/लीटर पाई व उनके आईक्यू लेवल में 1.63 अंक की कमी दर्ज की है। उच्च मात्रा में फ्लोराइड की न्यूरो टॉक्सिसिटी के बारे में तमाम जानकारियां मौजूद हैं, लेकिन इस अध्ययन का एक सुझाव यह भी है कि 1.5 मिलीग्राम/लीटर से कम मात्रा भी बच्चों में आईक्यू लेवल को नुकसान दे सकती है। यह इसलिए, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन एक लीटर पानी में 1.5 मिलीग्राम तक फ्लोराइड को सुरक्षित मानता है। हालांकि, इससे कम मात्रा कितनी होनी चाहिए इसके बारे में शोधकर्ताओं ने स्पष्ट नहीं किया।
यूपी के 36 जिले प्रभावित : भारत के लिए यह अध्ययन इसलिए
अहम है, क्योंकि साल 2022 में केंद्र की एक रिपोर्ट में 23 राज्यों के 370 जिलों में पानी अधिक फ्लोराइड युक्त पाया। इसमें उत्तर प्रदेश के 36 और मध्य प्रदेश में 44 जिले ऐसे हैं जहां भूजल में फ्लोराइड की अधिकता है।