नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के 7.6 करोड़ से अधिक सदस्य दो सेवाओं की जानकारी खुद ऑनलाइन अपडेट कर सकेंगे। पहली, नियोक्ता की ओर से किसी सत्यापन या ईपीएफओ की मंजूरी के बिना नाम- जन्मतिथि जैसी जानकारियों में ऑनलाइन बदलाव कर सकते हैं। दूसरी, ई-केवाईसी ईपीएफ खाते (आधार से जुड़े) बाले सदस्य, नियोक्ता के हस्तक्षेप के बिना आधार ओटीपी के साथ सीधे ईपीएफ ट्रांसफर दावे ऑनलाइन कर सकते हैं।
उपरोक्त दोनों सेवाएं शनिवार से शुरू हो गई हैं। ऐसे मामलों में किसी सहयोगी दस्तावेज की भी जरूरत नहीं होगी। यह सुविधा उन सदस्यों के लिए उपलब्ध होगी, जिनका यूएएन (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर) एक अक्तूबर, 2017 के बाद जारी किया गया है। उस समय यूएएन को आधार से मिलान के लिए अनिवार्य कर दिया गया था। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने
कहा, ईपीएफओ सदस्यों की 27 प्रतिशत शिकायतें प्रोफाइल केवाईसी से संबंधित होती हैं। इस सुविधा के शुरू होने के बाद ऐसी शिकायतें घटेंगी। इससे उन कंपनियों को भी लाभ होगा, जिनके पास बड़ी संख्या में कर्मचारी हैं। श्रम मंत्री ने कहा, ईपीएफओ ने अपने पोर्टल पर संयुक्त घोषणा की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। इससे कर्मचारियों को नाम, जन्म तिथि, लिंग, राष्ट्रीयता, पिता/माता का नाम, वैवाहिक स्थिति, पति पत्नी का नाम, कामकाजी संगठन से जुड़ने और छोड़ने की तिथि जैसी व्यक्तिगत जानकारियों में होने वाली आम गलतियों को खुद ही सुधारने की सुविधा मिल गई है। एजेसी लंबित अनुरोध को हटाने की सुविधा यदि कोई सदस्य अपना
अनुरोध पहले ही दाखिल कर दिया है जो नियोक्ता के पास लंबित है, तो सदस्य इस अनुरोध को हटा सकता है और सरलीकृत प्रक्रिया के अनुसार खुद इसे मंजूर कर सकता है। इससे कंपनियों के पास लंबित 3.9 लाख मामलों को लाभ मिलेगा। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान दायर किए गए दावों की संख्या 1.3 करोड़ मानी जाए तो 94 प्रतिशत से अधिक दावे यानी 1.2 करोड़ तुरंत ईपीएफओ तक पहुंच जाएंगे।
■ ट्रांसफर प्रक्रिया भी इसी महीने से होगी आसान: इस महीने ट्रांसफर क्लेम प्रोसेसिंग के लिए ईपीएफओ की आंतरिक प्रक्रियाओं को भी सरल बनाया जा रहा है।