प्रयागराज। यूपी बोर्ड के टेबुलेशन रिकॉर्ड से छेड़छाड़ के दोषी कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा सकता है। इस मामले की जांच आठ साल पहले शुरू कराई गई थी। लेकिन, फाइल बाबुओं व अफसरों की मेज पर धूल फांकती रही। सचिव भगवती सिंह के कार्यभार संभालने के बाद फाइल उनके सामने आई तो उन्होंने उसे आगे बढ़ा दिया और निदेशक के आदेश पर पांच बाबुओं के खिलाफ केस दर्ज कराया गया। दरअसल, यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा-1999 व इंटरमीडिएट परीक्षा-2001 के तहत जिन 22 अभ्यर्थियों के मूल टेबुलेशन रिकॉर्ड व मार्कशीट में अंक बदलकर बढ़ा दिए गए थे, उन्होंने बढ़े हुए अंकों के साथ पर एलटी ग्रेड शिक्षक की नौकरी हासिल की थी।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव
पहले एलटी ग्रेड भर्ती के लिए परीक्षा नहीं होती थी, बल्कि हाईस्कूल, इंटरमीडिएट आदि में मिलने अंकों के आधार पर चयन की मेरिट बनाई जाती थी। वर्ष 2016 में जब सत्यापन कराया गया तो पता चला कि यूपी बोर्ड के कुछ कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत से टेबुलेशन रिकॉर्ड में 22 अभ्यर्थियों के नंबरों में छेड़छाड़ की गई। जांच कराई गई तो इसमें पांच लोगों को दोषी पाया गया। दूसरी बार अपर निदेशक राजकीय अजय कुमार द्विवेदी की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच कराई गई। अजय कुमार द्विवेदी ने 23 जनवरी 2023 को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह, सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी राजेश कुमार, सेवानिवृत्त प्रधान सहायक प्रमोद कुमार, प्रशासनिक अधिकारी आत्म प्रकाश व कनिष्ठ सहायक राकेश कुमार केसरवानी दोषी पाए गए। माध्यमिक शिक्षा निदेशक महेंद्र देव के 10 अगस्त 2024 के आदेश पर पांचों दोषियों के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई।
यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी आत्म प्रकाश व कनिष्ठ राकेश कुमार केसरवानी के खिलाफ निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जा सकती है। ब्यूरो