रामपुर, शिक्षिका ज्ञानेश्वरी देवी की फर्जी नियुक्ति और सहायक लेखाकार के प्रमोशन का मामला तूल पकड़ गया है। अब जांच के दायरे में सहायक लेखाकार के करीबी रहे सात शिक्षक भी आ गए हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि सात शिक्षकों के खाते में लेखा विभाग से लाखों रुपये का लेनदेन किया गया है। जांच का दायरा बढ़ने के बाद खलबली मच गई है। शहर के ऊंची चौपाल स्थित जवाहरलाल पूर्व माध्यमिक विद्यालय में ज्ञानेश्वरी देवी की फर्जी तरीके से नियुक्ति का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में जहां पुलिस अपने स्तर से कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी ओर विभागीय कार्रवाई भी शुरू हो गई है। मुकदमा दर्ज होने के बाद इस प्रकरण में सिविल लाइंस पुलिस ने शिक्षिका के पति सहायक लेखाकार नेगपाल सिंह को पिछले दिनों जेल भेजा था। अब इस प्रकरण में मंडलायुक्त के आदेश पर जांच कमेटी बनी है।
कमेटी में अपर आयुक्त शशि भूषण, एडी बेसिक बुद्धिनाथ सिंह, रामपुर के वरिष्ठ कोषाधिकारी रंजीत सिंह भी शामिल हैं। यह टीम सोमवार को बीएसए दफ्तर स्थित लेखाधिकारी कार्यालय पहुंची थी, जहां टीम ने दिन भर अभिलेखों को खंगाला था। टीम ने इस मामले में उनके सहायक लेखाकार पति नेगपाल सिंह के प्रमोशन के अभिलेखों को भी जांचा है। दिनभर चली जांच के बाद टीम तो वापस चली गई, लेकिन विभागीय सूत्रों के मुताबिक जांच टीम के रडार पर सहायक लेखाकार के सात करीबी शिक्षक भी आ गए हैं।
इन शिक्षकों के खाते में लाखों रुपये का लेनदेन किया गया है। जांच टीम अब इन शिक्षकों के खातों में किए गए लेनदेन की जांच कर रही है, जिसके बाद खलबली मच गई है।
सहायक लेखाकार के निलंबन पर फंसा पेच
पत्नी की फर्जी नियुक्ति के मामले में जेल में बंद सहायक लेखाकार नेगपाल सिंह के निलंबन पर पेच फंस गया है। दरअसल पिछले साल सहायक लेखाकार के जब प्रमोशन में गड़बड़ी की बात सामने आई थी तब डीएम के आदेश पर तत्कालीन बीएसए ने आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय को पत्र लिखकर कार्रवाई की संस्तुति की थी, जिस पर पांच जनवरी 24 को निदेशालय के अपर निदेशक रविंद्र कुमार ने बीएसए को जवाब दिया था कि उक्त नाम का कोई भी सहायक लेखाकार विभाग की ज्येष्ठता सूची में ही नहीं है। विभाग ने नेगपाल को अपना कर्मचारी ही नहीं माना था। इस आदेश के बाद प्रमोशन को रद्द करने की प्रक्रिया लेखा विभाग को करनी थी, लेकिन मामला यहां भी फंस गया और कार्रवाई का भी पेच फंस गया। अब सहायक लेखाकार को जेल भेजा जा चुका है, लेकिन विभागीय अफसर जांच की बात कहते हुए निलंबन की कार्रवाई से कतरा रहे हैं।
नियुक्ति प्राधिकारी कौन, शासन से मांगी राय
सहायक लेखाधिकारी नेगपाल सिंह के नियुक्ति प्राधिकारी की स्थिति को साफ करने के लिए अब लेखा विभाग ने शासन को पत्र लिखा है। लेखाधिकारी विकास खंडेलवाल ने बताया कि नेगपाल का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इसके साथ ही पिछले साल आए पत्र के अनुसार नियुक्ति प्राधिकारी को लेकर भी विवाद है। स्थिति साफ करने के लिए अब शासन को पत्र लिखा गया है। मार्ग दर्शन मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कार्रवाई की जद में आ सकते हैं दो लेखाधिकारी
जांच के दायरे में फर्जी नियुक्ति और वेतन देने के साथ ही सहायक लेखाकार के प्रमोशन के मामले में दो लेखाधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं। जांच टीम के साथ ही पुलिस के निशाने पर भी दोनों लेखाधिकारी आ गए हैं।