कई बार बैंक से लोन लेने के लिए गारंटर की जरूरत पड़ती है। गारंटर वह व्यक्ति होता है जो लोन लेने वाले की ओर से लोन के भुगतान की जिम्मेदारी लेता है। यदि लोन लेने वाला व्यक्ति समय पर लोन नहीं चुका पाता, तो बैंक उस गारंटर से भी लोन की वसूली कर सकता है।
आओ जाने विस्तार से✍️
लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अक्सर बैंक से लोन लेते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में लोन लेने के लिए गारंटर का होना अनिवार्य हो जाता है। गारंटर बनने से पहले, यह समझना बेहद जरूरी है कि यह जिम्मेदारी कितनी बड़ी है और इससे जुड़ी सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
गारंटर की जरूरत कब पड़ती है?
जब कोई बड़ा लोन लिया जाता है, या बैंक को लगता है कि लोन चुकाने का जोखिम अधिक है, तो गारंटर की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, यदि लोन लेने वाले का क्रेडिट स्कोर कम है या दस्तावेज पूरे नहीं हैं, तब भी बैंक गारंटर मांग सकता है।
गारंटर बनने का मतलब क्या है?
गारंटर बनने का मतलब है कि यदि लोन लेने वाला व्यक्ति अपना लोन नहीं चुकाता, तो आपको उसकी ओर से भुगतान करना पड़ेगा। इस स्थिति में आपके क्रेडिट स्कोर पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है, क्योंकि लोन की राशि आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में देनदारी (लायबिलिटी) के रूप में जुड़ जाएगी। साथ ही, गारंटर बनने के बाद इससे मुक्त होना मुश्किल होता है। इसके लिए आपको बैंक और लोन लेने वाले व्यक्ति से अनुरोध करना पड़ेगा।
गारंटर बनना कितना सही है?
यदि आप किसी के लोन गारंटर बनने का सोच रहे हैं, तो सबसे पहले लोन लेने वाले व्यक्ति की आर्थिक स्थिति की गहराई से जांच करें। यदि आपको लगता है कि वह व्यक्ति लोन चुकाने में सक्षम नहीं है, तो सतर्क हो जाएं और गारंटर बनने से बचें।
गारंटर बनने से पहले संभावित जोखिमों को समझना और सही फैसला लेना बेहद जरूरी है।