आर्थिक सर्वेक्षण में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों का हवाला दिया गया, डेस्क पर 12 घंटे से अधिक समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं
नई दिल्ली, एजेंसी। हाल ही में हफ्ते में 90 घंटे काम किए जाने को लेकर जमकर बहस छिड़ी थी। इसी को लेकर आर्थिक समीक्षा में चेताया गया है। सर्वेक्षण में कई अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया कि सप्ताह में 60 घंटे से अधिक काम करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
सर्वेक्षण के मुताबिक, डेस्क पर लंबे समय तक रहना मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जो व्यक्ति डेस्क पर 12 या अधिक घंटे (प्रति दिन) बिताते हैं, उन्हें मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ सकता है। सर्वेक्षण में कार्य से जुड़े रोगों के बारे में पेगा एफ, नफ्राडी बी (2021) और विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के विश्लेषणों का हवाला दिया गया है। इनमें बताया गया है कि काम पर बिताए गए घंटों से आमतौर पर उत्पादतका का पैमाना मापा नामा जाता है, लेकिन पिछले अध्ययन में पाया गया कि सप्ताह में 55-60 घंटे से अधिक काम करने का सेहत पर प्रतिकूल असर हो सकता है।
अवसाद से काफी नुकसान विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अवसाद और चिंता के कारण प्रतिवर्ष लगभग 12 अरब दिन बेकार हो जाते हैं, जिससे एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्तीय नुकसान होता है। रुपये के संदर्भ में, यह प्रति दिन लगभग 7,000 रुपये बैठता है।
क्या है कानून
भारतीय श्रम कानून यह कहता है कि हर दिन 9 घंटे से अधिक काम नहीं होना चाहिए। इसमें आधे घंटे का आराम भी शामिल है। कर्मचारियों को कम से कम एक दिन साप्ताहिक अवकाश का भी अधिकार है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार
भारत सबसे अधिक काम करने वाले देशों में से एक है। यहां 51 फीसदी कर्मचारी हर सप्ताह 49 घंटे से अधिक काम करते हैं। यह 170 देशों में सबसे अधिक है। इसके विपरीत भारतीय कर्मचारी की न्यूनतम मासिक आय सबसे कम 220 डॉलर ही है।
इसके बाद लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के अध्यक्ष एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने कहा था कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए, जिसमें रविवार भी शामिल हो।
अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने कहा था कि दूसरे का वर्क बैलेंस थोपा नहीं जा सकता। उन्होंने मजाक में कहा था कि अगर आप काम पर आठ घंटे बिताते हैं तो आपकी बीबी भाग जाएगी।
मुनाफे के अनुरूप वेतन नहीं बढ़ाया
आर्थिक समीक्षा के मुताबिक वित्तीय, ऊर्जा और वाहन उद्योग में मजबूत वृद्धि से वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनियों का लाभ 15 साल के शिखर पर पहुंच गया है। इसमें कहा गया कि मुनाफे में वृद्धि हुई है, लेकिन वेतन में कमी आई है। पिछले चार वर्षों में भारतीय कंपनियों ने 22 प्रतिशत का स्थिर ईबीआईटीडीए (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और ऋण अदायगी से पहले की आय) मार्जिन हासिल किया, इसके बावजूद वेतन वृद्धि में कमी आई है। यह असमान वृद्धि को लेकर चिंता पैदा करती है।