8वें वेतन आयोग अपडेट्स: केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। इस आयोग का उद्देश्य कर्मचारियों के वेतन को उनकी बढ़ती जरूरतों के अनुरूप संशोधित करना है। कर्मचारियों को उम्मीद है कि 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के तहत फिटमेंट फैक्टर में भारी बढ़ोतरी होगी, जिससे उनके वेतन में बड़ा उछाल आएगा। आइए जानते हैं 8वें वेतन आयोग से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां।
फिटमेंट फैक्टर क्या होता है?
वेतन आयोग कर्मचारियों के वेतन संशोधन के लिए फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) का उपयोग करता है। यह एक गुणक है जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन (Pension Hike) की गणना का आधार बनता है। इसे मुद्रास्फीति, कर्मचारियों की आवश्यकताओं और सरकार की वित्तीय क्षमताओं को ध्यान में रखकर तय किया जाता है।
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वेतन बढ़ोतरी के मुख्य आधार:
1. जीवनयापन लागत: वेतन आयोग कर्मचारियों के वेतन में संशोधन करते समय चावल, गेहूं, दाल, सब्जियां, दूध, ईंधन, बिजली, पानी के बिल, त्योहारों और शादी जैसे खर्चों को भी ध्यान में रखता है।
2. आर्थिक स्थिति: देश की आर्थिक वृद्धि (GDP) अच्छी होने पर वेतन वृद्धि की संभावना बढ़ जाती है।
3. कर्मचारियों का प्रदर्शन: कर्मचारियों के कार्य क्षमता और परिणामों को भी वेतन संशोधन में महत्व दिया जाता है।
4. प्राइवेट सेक्टर का प्रभाव: सरकार प्राइवेट कंपनियों के वेतन स्तर को देखते हुए केंद्रीय कर्मचारियों के लिए प्रतिस्पर्धी वेतन तय करती है।
बेसिक सैलरी में होगी भारी छलांग:
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) में फिटमेंट फैक्टर को 2.6 से बढ़ाकर 2.85 किया जा सकता है। इससे कर्मचारियों के वेतन में 25-30% तक की बढ़ोतरी होने की संभावना है। न्यूनतम बेसिक सैलरी 40,000 रुपये प्रति माह तक पहुंच सकती है, जिसमें भत्ते और प्रदर्शन-आधारित भुगतान भी शामिल होंगे। पेंशनभोगियों को भी इसी आधार पर राहत मिलेगी।
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7वें वेतन आयोग की तुलना:
– 6वें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये था, जिसे 7वें वेतन आयोग (7th CPC) में बढ़ाकर 18,000 रुपये किया गया।
– 7वें आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 गुना था, जिससे वेतन में 14.2% की वृद्धि हुई थी।
इस नए आयोग के लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई के बोझ से काफी राहत मिलने की उम्मीद है। सरकार का यह कदम कर्मचारियों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने और अर्थव्यवस्था को गति देने में मददगार साबित हो सकता है।