केंद्र सरकार ने पिछले माह आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने आठवें वेतन आयोग की संभावित संदर्भ शर्तों (टीओआर) पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से सुझाव मांगे हैं। गृह मंत्रालय ने सभी केंद्रीय बलों से सुझाव देने के लिए कहा है। केंद्रीय बल, सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, एनएसजी और असम राइफल्स को अपने सुझावों में उचित स्पष्टीकरण तथा दस्तावेजों सहित विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी थी। सीआरपीएफ के उत्तराखंड सेक्टर की तरफ से आठवें वेतन आयोग की संभावित संदर्भ शर्तों (टीओआर) पर 12 महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। इनमें ओपीएस, पैरामिलिट्री भत्ता, टैक्स-फ्री जोखिम भत्ता, टैक्स-फ्री राशन भत्ता और 2आईसी का पे स्केल लेवल ’12’ से ’13’ में अपग्रेड करने जैसे अन्य महत्वपूर्ण सुझाव शामिल हैं।
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गौरतलब है कि संदर्भ की शर्तें किसी भी आयोग के गठन एवं उसके कामकाज की आधारशिला होती हैं। आयोग द्वारा विभिन्न घटकों के साथ बातचीत करना, उसकी सीमा और कार्यप्रणाली तय करना आदि इसी के अंतर्गत आता है। ठोस संदर्भ शर्तों के जरिए नियोक्ता को आवश्यक जानकारी इकट्ठा करने और कार्यस्थलों की समस्याओं को समझने में मदद मिलती है। संदर्भ शर्तें, विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती हैं। इनमें वार्ता का उद्देश्य और संरचना को परिभाषित करना भी शामिल होता है।
केंद्र सरकार ने 16 जनवरी को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू की जाएंगी। कर्मचारी संगठनों के नेताओं का कहना है कि अतीत में ऐसा कम ही देखने को मिला है, जब आयोग के गठन और उसकी रिपोर्ट को लागू करने में दो वर्ष से कम समय लगा हो। पहले वेतन आयोग के सदस्य विभिन्न देशों का दौरा कर वहां के कर्मचारी संगठनों के वेतनमान का अध्ययन करते थे, जिससे प्रक्रिया लंबी हो जाती थी। अब सब कुछ डिजिटल हो गया है, जिससे विदेशी वेतन संरचना से जुड़ी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध हो सकती है।
वर्तमान में विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था और वित्तीय नीतियों का अध्ययन डिजिटल माध्यम से किया जा सकता है। ऐसे में संभव है कि इस बार प्रक्रिया तेजी से पूरी हो। पूर्व में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान वेतन आयोग के गठन से लेकर उसकी सिफारिशें लागू करने में 18 महीने लगते थे, जबकि उससे पहले यह प्रक्रिया दो साल तक चलती थी। इस बार केंद्र सरकार ने आयोग के गठन से लेकर उसकी सिफारिशों को लागू करने तक का कार्य एक वर्ष के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
केंद्रीय बलों ने आठवें वेतन आयोग की संभावित संदर्भ शर्तों (टीओआर) पर अपनी रिपोर्ट सॉफ्ट और हार्ड कॉपी दोनों रूपों में सौंपी है। विभिन्न बलों के कार्यालयों से प्राप्त रिपोर्ट, संबंधित फोर्स के महानिदेशक द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जा रही है, जहां से यह रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को भेजी जाएगी। सीआरपीएफ के उत्तराखंड सेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:
फिटमेंट फैक्टर को कम से कम 2.86 किया जाए।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को पैरामिलिट्री भत्ता दिया जाए।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में पुरानी पेंशन लागू की जाए।
इन बलों में ‘वन रैंक वन पेंशन’ का प्रावधान किया जाए।
बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए शिशु शिक्षण भत्ता बढ़ाया जाए और इसे 12वीं कक्षा से स्नातक स्तर तक लागू किया जाए। साथ ही, इसे आयकर मुक्त किया जाए।
सीआरपीएफ कार्मिकों को मिलने वाले राशन भत्ते को आयकर से मुक्त किया जाए।
सीआरपीएफ कार्मिकों को मिलने वाला जोखिम भत्ता भी आयकर से मुक्त हो।
केंद्रीय सरकारी कर्मचारी जो आयकर का भुगतान कर रहे हैं, उन्हें अन्य करों, जैसे रोड टैक्स और वाहन टैक्स से मुक्त किया जाए।
सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर में संबद्ध ड्यूटी बटालियनों के कार्मिकों को स्थानांतरण भत्ता और यात्रा भत्ता दिया जाए।
द्वितीय कमान अधिकारी (2आईसी) के पे स्केल लेवल को 12 से बढ़ाकर 13 किया जाए, ताकि इसे सेना की संरचना के अनुरूप बनाया जा सके।
अधिकारी का आवास भत्ता अन्य रैंकों के पीवीआर के बराबर किया जाए।
आश्रित माता-पिता की देखभाल के लिए कार्मिकों को एक विशेष अवकाश (स्पेशल लीव) दिया जाए, जैसा कि सीसीएल (चाइल्ड केयर लीव) में प्रावधान है।
केंद्रीय बलों में ओपीएस लागू करने पर असहमति
‘अलायंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन’ सहित विभिन्न केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में पुरानी पेंशन (ओपीएस) बहाल करने की मांग उठाई है। फिलहाल, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 11 लाख जवानों और अधिकारियों को इस संबंध में कोई राहत नहीं मिली है। ओपीएस बहाली का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में है और इसे संसद सत्रों में भी उठाया गया है। यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) को ‘भारत संघ के सशस्त्र बल’ माना था और एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) को निरस्त करने की बात कही थी। हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, चाहे कोई कार्मिक पहले भर्ती हुआ हो, वर्तमान में सेवा दे रहा हो या भविष्य में भर्ती हो, सभी को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में स्थगन (स्टे) ले लिया है।