नया टैक्स रिजीम डिफॉल्ट होगा, एक बार नया चुना तो बदल नहीं सकेंगे
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को संसद में नया इनकम टैक्स बिल पेश करेंगी। बुधवार को सांसदों को बिल की प्रति उपलब्ध कराई गई। इससे 64 साल पुराने इनकम टैक्स एक्ट में होने वाले बदलावों की झलक मिलती है। सरकार का दावा है कि यह मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 को सरल बनाकर आयकर कानून को आम लोगों के समझने योग्य बनाएगा और इससे जुड़ी मुकदमेबाजी को कम करने में मददगार होगा। मौजूदा आयकर कानून के हिसाब से 1961 से लेकर अब, तक 66 बजट (लेखानुदान सहित) पेश हुए हैं। नया इनकम टैक्स बिल मौजूदा इनकम टैक्स-1961 से आकार में छोटा है। हालांकि धाराएं व शेड्यूल ज्यादा हैं। 622 पत्रों के नए बिल में 23 चैप्टर में 536 धाराएं हैं और 16 शेड्यूल हैं, जबकि मौजूदा अधिनियम में 298 धाराएं, 14 शेड्यूल हैं और यह 880 से अधिक पन्नों का है।
नए बिल में क्या नया… 7 प्वाइंट से समझिए
नए इनकम टैक्स बिल से क्या आसान होगा
• कैपिटल गेन पर एक समान कर
शेयर, रियल एस्टेट, म्यूचुअल फंड़ आदि पर कैपिटल गेन (पूंजी लाभ) में मौजूदा अलग अलग टैक्स ट्रीटमेंट के स्थान पर नए बिल में एक समान कर व्यवस्था रखी गई है।
• क्रिप्टो पर फ्लैट 30% टेक्स नए
बिल में क्रिप्टो, एनएफटी सहित वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों पर फ्लैट 30 फीसदी कर का प्रावधान होगा। क्रिप्टो को हर लेनदेन पर 1% टीडीएस लागू होगा। इसमें अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी किस्म की कटौती या छूट की अनुमति नहीं होगी। रिटर्न में क्रिप्टों की रिपोर्टिंग अनिवार्य होगी।
• टेक्स इयर नए बिल में टैक्स ईयर का कॉन्सेप्ट है। मौजूदा कानून में असेसमेंट ईयर (निर्धारण वर्ष) और वित्त वर्ष (प्रीवियस ईयर) जैसी शब्दावली से करदाता को टैक्स जमा करते और रिटर्न फाइल करते समय
भ्रम होता है। टैक्स ईयर से आसानी होगी। जिस वर्ष में कर अदा करेगा, उसी वर्ष उसका रिटर्न भी फाइल करेगा। हालांकि वित्त वर्ष के कॉन्सेप्ट में कोई अंतर नहीं है। वित्त वर्ष एक अप्रैल से 31 मार्च तक ही रहेगा।
• ओल्ड रिजीम चुनने का विकल्प रहेगाः व्यक्तिगत करदाता
परिवार व अन्य आयकरदाताओं के लिए नए टैक्स रिजीम का प्रस्ताव डिफॉल्ट के रूप में है। हालांकि उनके पास ओल्ड रिजीम चुनने का विकल्प भी रहेगा, लेकिन एक बार नया रिजीम चुन लिया तो विशेष परिस्थितियों के बिना पुराने रिजिम में नहीं लौट सकते। • छोटे वाक्यों का इस्तेमालः छोटे
वाक्यों का इस्तेमाल हुआ है। मौजूदा अधिनियम में बार-बार इस्तेमाल ‘फिर भी’ (नॉटविदस्टैंडिंग) शब्द हटाकर ‘भले ही’ (इॉस्पेक्टिव) का इस्तेमाल है।
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