प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 80 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रोफेसर की ग्रेच्युटी की मांग मामले में एकल पीठ के आदेश दिया। साथ ही मामले को नियंत्रण प्राधिकारी ग्रेच्युटी ट्रिब्यूनल को वापस भेजा दिया।
मामला 1 को रद्द कर
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कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता की उम्र को देखते हुए हम अपेक्षा करते हैं कि इस मामले को नौ महीने के भीतर शीघ्रता से निस्तारित किया जाए। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने डॉ. श्याम लाल गुप्ता की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए दिया।
प्रयागराज के कुलभाष्कर आश्रम डिग्री कॉलेज से डॉ. गुप्ता सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने ग्रेच्युटी के लिए ट्रिब्यूनल में आवेदन दाखिल किया, जो उनके पक्ष में आया। इस आदेश को कॉलेज प्रशासन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। एकल पीठ ने ट्रिब्यूनल के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि याची ने 58 साल पर ग्रेच्युटी के
एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए वापस ट्रिब्यूनल को भेजा गया मामला
साथ सेवानिवृत्ति के बजाय 60 साल की उम्र में बिना ग्रेच्युटी के सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना है। इस आधार पर एकलपीठ ने ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द कर दिया। याची प्रोफेसर ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की।
याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि एकल न्यायाधीश ने सिर्फ याची की ओर चुने गए विकल्प के आधार फैसला सुनाया है, जो न्यायोचित नहीं है। यूपी राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत कर्मचारी की परिभाषा में संशोधन के चलते उक्त विकल्प का कोई महत्व नहीं था। उन्होंने लखनऊ बेंच व एक अन्य मामले का हवाला भी दिया।
प्रतिवादी के वकील ने दलील दी कि ग्रेच्युटी भुगतान का दायित्व राज्य का है, कॉलेज का नहीं। नियंत्रण प्राधिकारी के समक्ष राज्य को प्राधिकारी नहीं बनाया गया था। एकल न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। न्यायालय ने अपील को निस्तारित करते हुए कहा कि अपीलकर्ता राज्य को पक्षकार बनाने के लिए स्वतंत्र हैं।