प्रयागराज।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सत्र 2025 से योग एवं न्यूट्रिशन पर पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। यह निर्णय इविवि की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में लिया गया। इसके साथ ही चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लागू करने के लिए एक समिति का भी गठन किया गया।
यह पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति पर

- जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली है. वह देश के 52वें चीफ जस्टिस बन गए हैं
- पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार को संघ लोक सेवा आयोग UPSC का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में योजित याचिका संख्या-5146/2024 प्रतिमा वर्मा व अन्य बनाम उ०प्र० राज्य व अन्य के सम्बन्ध में।
- शैक्षिक सत्र 2024-25 में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक/शिक्षिका के अन्तर्जनपदीय एवं अन्तः जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के सम्बन्ध में
- 413 शिक्षकों को मिलेगा जिले से बाहर स्थानांतरण का मौका
आधारित है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने पंचवर्षीय बीए बीएससी एमए-एमएससी इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, संज्ञानात्मक विज्ञान, शारीरिक शिक्षा, खाद्य एवं पोषण और संस्कृत विभाग के संयोजन से तैयार किया है। इस पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य से जुड़े योग एवं पोषण से जुड़े पहलुओं को पढ़ाया जाएगा।
इसमें कला, विज्ञान और वाणिज्य तीनों स्ट्रीम के छात्र प्रवेश ले सकेंगे। मल्टीपल एंट्री व मल्टीपल एग्जिट प्रणाली के तहत पहले वर्ष में प्रमाणपत्र, दूसरे वर्ष में डिप्लोमा,
तीसरे वर्ष में स्नातक, चौथे वर्ष में आनर्स और अंतिम वर्ष में मास्टर डिग्री प्रदान की जाएगी।
इसमें योग मनोविज्ञान, पतंजलि योग सूत्र, प्रायोगिक योग, क्रोध एवं आवेश प्रबंधन, तनाव प्रबंधन, योग से उपचार, स्वास्थ्य और पोषण, शारीरिक फिटनेस और प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में पढ़ाया जाएगा।
बैठक में नई शिक्षा नीति के तहत सत्र 2025-26 से चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जो जल्द ही इस पर विस्तृत
कार्ययोजना प्रस्तुत करेगी। यह समिति सभी विभागों एवं संकाय अध्यक्षों के साथ समन्वय स्थापित कर इस पाठ्यक्रम के क्रियान्वयन की रूपरेखा तैयार करेगी।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि परीक्षा से पहले कक्षाओं की नियमितता सुनिश्चित की जाए। सभी विभागाध्यक्षों को यह निर्देश दिया गया कि वे सुनिश्चित करें कि पाठ्यक्रम की पढ़ाई परीक्षा से पहले हर हाल में पूरी हो जाए ताकि छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके।