नई दिल्ली, मतदाता सूची फर्जी नामों के आरोपों का सामना कर रहे निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को कहा कि जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिकारियों के साथ तालमेल बैठाकर मतदाता सूची की नियमित अपडेट प्रक्रिया को मजबूत किया जाएगा।

- मानव संपदा मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली के लिए कार्मिक विवरण फॉरमैट, ई सर्विस बुक फीडिंग
- “एक पेड़ माँ के नाम 2.0” अभियान कार्यक्रम देखें
- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) एवं उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) के माध्यम से की जाने वाली नियुक्तियों में हो रही देरी को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई
- नई प्राथमिक शिक्षक भर्ती को लेकर नया शिक्षा सेवा चयन आयोग एलनगंज प्रयागराज में उमड़ा अभ्यर्थियों का जनसैला
- Tax gyan: एक बार जरूर पढ़ें, आयकर संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
आयोग ने कहा है कि उसने चुनाव की शुचिता को बनाए रखने के लिए लगभग 1 करोड़ चुनाव अधिकारियों व कर्मचारियों की निरंतर क्षमता वृद्धि के लिए डिजिटल प्रशिक्षण की योजना बनाई गई है। निर्वाचन आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया कि फर्जी वोटर की समस्या के समाधान के लिए जल्द ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) और निर्वाचन आयोग के विशेषज्ञों के बीच वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने के लिए तकनीकी परामर्श शुरू होगा। आयोग ने कहा कि एक मतदाता केवल निर्दिष्ट मतदान केंद्र पर ही वोट कर सकता है, कहीं और नहीं। आयोग ने एक बार फिर देशभर में डुप्लिकेट वोटरों को हटाने और तीन महीने के भीतर दशकों पुराने मुद्दे को समाप्त करने के अपने संकल्प को दोहराया है।
आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों से स्पष्ट कर दिया गया कि मसौदा मतदाता सूची में कोई भी नाम शामिल करना या हटाना, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत अपील की प्रक्रिया द्वारा शासित है।
आयोग के मुताबिक, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों सहित लगभग 5 हजार चुनाव अधिकारी 31 मार्च तक जमीनी स्तर पर मुद्दों के समाधान के लिए राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें करेंगे।