वर्ष 2023 में 12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों को आईआईटी में प्रवेश पाने के लिए जेईई-एडवांस्ड 2025 में भाग लेने की अनुमति देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

शीर्ष अदालत ने 2023 में 12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर यह नोटिस जारी किया है। याचिका में जेईई-एडवांस में छात्रों को तीन मौके देने का आदेश देने की मांग की गई है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार के अलावा संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी) एवं संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल तय की है। जेएबी जेईई-एडवांस्ड का आयोजन करता है।
वर्ष 2023 में 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले 18 छात्रों की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वे 2025 में जेईई-मेन्स में बैठने के पात्र हैं, लेकिन उन्हें 18 मई को होने वाली जेईई-एडवांस्ड में शामिल होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने पीठ को बताया कि जेईई-मेन्स और एडवांस्ड में प्रयासों की संख्या में एकरूपता नहीं होने के चलते याचिकाकर्ताओं को 2024 और 2025 में 12वीं पास करने वाले छात्रों की तुलना में आईआईटी में प्रवेश सुरक्षित करने के समान अवसर से वंचित करता है।
पीठ के समक्ष दाखिल याचिका में कहा गया है कि आईआईटी में प्रवेश दो-चरणों में होता है। पहला चरण जेईई-मेन्स और उसके बाद जेईई-एडवांस्ड। जेईई-मेन्स साल में दो बार होता है। याचिकाकर्ता जेएबी द्वारा जेईई-एडवांस्ड 2025 के लिए पात्रता मानदंड में अचानक और मनमाने ढंग से किए गए बदलाव से व्यथित हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि जेएबी ने 5 नवंबर, 2024 को जेईई एडवांस में शामिल होने के प्रयासों की संख्या दो से बढ़ाकर तीन कर दिया था, लेकिन 18 नवंबर, 2024 को इसे रद्द कर दिया गया।