राज्य सरकार ने शहरों के विकास के लिए स्टांप शुल्क का दो ़फीसदी देने के लिए बार-बार उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के झंझट को खत्म कर दिया है। अब दो किस्तों यानी 6 महीने में खर्च के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र देना होगा। इसके बाद अगली किस्त का पैसा मिल जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। स्टांप शुल्क एवं पंजीयन विभाग शहरों में जमीनों की रजिस्ट्री पर दो प्रतिशत विकास शुल्क के रूप में लेता है। इस पैसे को नगर विकास और आवास विभाग को विकास के लिए दिया जाता है। इस समय करीब 30 अरब रुपये इस मद में हैं।

मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अभी पहली किस्त का पैसा खर्च के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र देना होता है, इसके बाद दूसरी ़िकस्त का पैसा मिलता है। इससे आवास एवं नगर विकास और बार-बार उपयोगिता प्रमाण पत्र देने में दिक्कतें आ रही थी और पैसा भी खर्च नहीं हो पा रहा था।
स्टांप शुल्क एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल के मुताब़िक संबंधित संस्थाओं को अब भुगतान त्रैमासिक आधार पर चार किस्तों में किया जाएगा।प्रथम एवं द्वितीय किस्त मिलने के बाद तीसरी किस्त तब दिया जाएगा जब पहली किस्त की उपयोगिता का प्रमाण पत्र संबंधित विभागों द्वारा उपलब्ध करा दिया जाएगा।इसी प्रकार चौथी किस्त का पैसा दूसरी किस्त का उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर दिया जाएगा। इससे बार बार उपयोगिता प्रमाण पत्र देने का झंझट ़खत्म हो गया है।
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