लखनऊ। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन (पाप्सा) ने प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के लिए जारी की जाने वाली कंपोजिट ग्रांट, खेलकूद, पुस्तकालय व अन्य ग्रांट के खर्च में आने वाली समस्याओं की तरफ विभाग का ध्यान आकृष्ट किया है। साथ ही मई में ही इस ग्रांट का 50 फीसदी बजट जारी करने की मांग की है।

बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव व महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजकर उन्होंने कहा कि है विद्यालयों के विकास व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एक तरफ यह ग्रांट
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- एक शिक्षक का बेटा होने के नाते हर शिक्षक से मेरा पारिवारिक संबंध है और उनका दर्द मेरा दर्द है।: अखिलेश यादव
- इस वीडियो को अंत तक शांत और ठंडे दिमाग से देखें। एक बार जब आप देखना शुरू कर देंगे, तो आपको पता ही नहीं चलेगा कि वीडियो कब खत्म हो जाएगा।* *आप तय करें या सोचीये कि क्या करना है?* *🙏🙏कृपया बच्चों और परिवार समूहों के साथ साझा करें🙏🙏🙏🙏
बहुत देर से भेजी जाती है। जिला परियोजना कार्यालय व बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से यह नवंबर व मार्च के पहले सप्ताह में मिली है। कुछ ग्रांट तो मार्च के अंतिम सप्ताह के कुछ दिन पूर्व मिलती हैं।
संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि इसकी वजह से इसके खर्च में
काफी दिक्कत आती है। कई बार यह राशि खर्च नहीं हो पाती है। उन्होंने यह भी कहा है कि इन ग्रांट का भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से विक्रेताओं को वेंडर बनाकर किया जाता है। इसके लिए सिर्फ एक बैंक की शाखा में विद्यालय प्रबंध समिति के खाते खोले गए हैं। इससे भी कई बार दिक्कत हो रही है। क्योंकि मार्च के अंत में बैंक पर भी काफी दबाव होता है।
ऐसे में शैक्षिक सत्र शुरू होने के दूसरे माह मई में ग्रांट की 50 फीसदी राशि की पहली किस्त व अक्तूबर में शेष राशि विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में स्थानांतरित की जाए ताकि समय सभी ग्रांट का सपयोग शिक्षक कर सकें।