नई दिल्ली, । नये वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ आयकरदाताओं को नई और पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प चुनने की जरूरत होगी। ऐसे में नई कर व्यवस्था में छूट सीमा बढ़ने के साथ यह जानना जरूरी है कि कर की कौन सी प्रणाली उनके लिए बेहतर है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि 12 लाख रुपये (वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 12.75 लाख रुपये) तक की सालाना आय वाले करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था उपयुक्त है लेकिन इससे अधिक आय वाले व्यक्तियों के लिए कौन सी प्रणाली बेहतर होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि करदाता कर देनदारी को कम करने के लिए बचत और निवेश की कोई योजना बना रहा है या नहीं।
क्या है नई कर व्यवस्था: नई कर व्यवस्था को सरकार ने 2020 में पेश किया था, जिसे 2023 और 2025 के बजट में और बेहतर बनाया गया। इसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल करना और करदाताओं को कम दरों पर कर भुगतान का विकल्प देना है। बजट 2025-26 में नई कर व्यवस्था के तहत छूट सीमा को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया। वेतनभोगियों के लिए 75,000 रुपये की मानक कटौती जोड़ने पर यह सीमा 12.75 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। इसके अलावा, 4% स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर सभी कर देनदारी पर लागू होता है। नई व्यवस्था में ज्यादातर कटौतियां और छूट खत्म कर दी गई हैं, सिवाय धारा 80सीसीडी (2) (नियोक्ता द्वारा एनपीएस में योगदान) और 75,000 रुपये की मानक कटौती के। यह इसे उन लोगों के लिए उपयुक्त बनाता है जो निवेश या बचत योजनाओं में ज्यादा रुचि नहीं रखते।
पुरानी कर व्यवस्था में कटौतियों का लाभ अधिक: पुरानी कर व्यवस्था में करदाताओं को कई कटौतियों और छूट का लाभ मिलता है, जैसे धारा 80सी (1.5 लाख रुपये तक), धारा 24(बी) (हाउसिंग लोन ब्याज पर 2 लाख रुपये तक), धारा 80डी (चिकित्सा बीमा), एचआरए और अन्य।
15 लाख की आय तक ही फायदा: कर विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी कर व्यवस्था तभी लाभकारी होगी, जब करदाता लगभग 5.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करने की स्थिति में हो। हालांकि, यदि कुल सालाना आय लगभग 15,00,000 रुपये से अधिक नहीं है, तभी लगभग 5.5 लाख की कटौती का लाभ होगा। इससे अधिक सालाना आय के लिए नई कर व्यवस्था उपयुक्त होगी। पुरानी कर व्यवस्था में विभिन्न आयकर धाराओं में 5.5 लाख रुपये तक कर कटौती का लाभ लिया जा सकता है।
कर विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यदि करदाता के पास कोई कर योजना या योग्य कटौती नहीं है, तो आमतौर पर नई व्यवस्था अधिक फायदेमंद होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपये (वेतनभोगी करदाताओं के लिए 75,000 रुपये की मानक कटौती के साथ अब 12.75 लाख रुपये) तक की वार्षिक आय को पूरी तरह से आयकर से मुक्त कर दिया है। आयकर छूट नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले आयकरदाताओं को मिलेगी।
कर व्यवस्था चुनने के नियम
वर्तमान में करदाता नई या पुरानी में से कोई भी कर व्यवस्था चुन सकते हैं। प्रत्येक व्यवस्था के अपने फायदे और बंदिशें हैं। करदाता अपनी स्थिति के अनुसार किसी एक का चयन कर सकते हैं।
नई कर व्यवस्था में मिलेगा रिबेट का फायदा
पहले नई कर व्यवस्था पुराने स्लैब के तहत 12.75 लाख रुपये तक की आय पर 80,000 रुपये कर लगता था लेकिन बजट में घोषित नए स्लैब में यह घटकर 60 हजार हो जाएगा। इसी के साथ सरकार ने आयकर पर मिलने वाली विशेष कर छूट (रिबेट) को 25 हजार से बढ़ाकर 60 हजार कर दिया है। इससे वे करदाता, जिनकी सालाना आय 12 लाख तक है, वे आयकर के दायरे से बाहर हो जाएंगे क्योंकि उनकी देनदारी शून्य हो जाएगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार ने यह राहत केवल धारा-87ए के तहत मिलने वाली रिबेट में बदलाव करके दी है, मूल कर ढांचे के जरिए नहीं।
आय पुरानी व्यवस्था नई व्यवस्था
11 लाख 3,400 00
12 लाख 44,200 00
13 लाख 54,600 66,300
14 लाख 75,400 81,900
15 लाख 96,200 97,500
(गणना में मानक कटौती और एनपीएस के तहत मिलने वाली छूट को भी शामिल किया गया है)
पुरानी कर व्यवस्था में कितनी छूट
● धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये
● धारा 24 (बी) के तहत आवास ऋण ब्याज के लिए 02 लाख रुपये
● धारा 80डी (चिकित्सा बीमा) 02 लाख रुपये
● 80 जी (पात्र संस्थानों को चंदा)
● 80 ई (शिक्षा ऋण पर ब्याज) आदि जैसी अन्य कटौतियां
