एटा। हाथरस के पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और खंड शिक्षाधिकारी (बीईओ) के खिलाफ दर्ज कराया गया दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट का केस झूठा निकला। केस दर्ज कराने वाली महिला को अदालत ने चार माह की सजा सुनाई है।

एक भर्ती प्रकरण को लेकर हाथरस के शिक्षा अधिकारियों और शिक्षकों के बीच रार चल रही थी। इसी बीच वर्ष 2019 में एक महिला ने थाना मिरहची में हाथरस के तत्कालीन बीएसए भानू प्रताप सिंह निवासी सौफुटा रोड लाजपतनगर, मथुरा और तत्कालीन खंड शिक्षाधिकारी पोप सिंह निवासी विभव नगर नवीपुर, हाथरस के अलावा हरीशचंद्र निवासी गणेश सिटी, हाथरस और शशि प्रभाकर निवासी शांति नगर कोतवाली नगर के खिलाफ केस दर्ज कराया।
आरोप के मुताबिक, पति की मौत के बाद महिला बेसहारा थी। वर्ष 2017 में मथुरा मेंn
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एक रिश्तेदारी में भानू प्रताप से उसकी मुलाकात हुई। उन्होंने स्वयं को तलाकशुदा बताते हुए महिला के सामने शादी का प्रस्ताव रखा और उसी बहाने शारीरिक संबंध बनाते रहे। महिला के गर्भवती होने पर गर्भपात भी कराया। यही नहीं, 18 मार्च 2019 को नशीला पदार्थ खिलाकर चार साथियों समेत सामूहिक दुष्कर्म किया। महिला की 13 वर्षीय पुत्री के साथ भी छेड़छाड़ और अश्लीलता की।
अदालत में यह मामला झूठा पाया गया और आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। उधर, भानू प्रताप व पोप सिंह ने थाना
मिरहची में महिला व उसकी पुत्री के अलावा रानू, संजीव सहित छह लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। इसमें बताया कि रानू और संजीव ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सहायक शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर ली थी। सत्यापन में दस्तावेज फर्जी मिलने पर दोनों को बर्खास्त कर हाथरस के सासनी गेट थाने में फर्जीवाड़े की रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी।
इससे बौखलाकर दोनों ने रंजिशन अपने घर में काम करने वाली महिला व उसकी पुत्री को लालच देकर बीएसए व बीईओ पर झूठा केस दर्ज कराया। इन लोगों पर चौथ वसूली, सामाजिक व विभागीय ख्याति को धूमिल करने आदि के भी आरोप लगाए गए। हालांकि अदालत में वादी इन आरोपों से मुकर गए लेकिन झूठा केस दर्ज कराने के मामले में महिला दोषी पाई गई। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विकास गुप्ता ने उसे चार माह के कारावास की सजा सुनाई और 5000 रुपये अर्थदंड लगाया।