बरेली, परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों पर अक्सर पठन-पाठन में लापरवाही के आरोप लगते रहते हैं। ऐसे लोगों को मो. अहमद जैसे शिक्षक से प्रेरणा लेनी चाहिए। मो. अहमद के सेवानिवृत्त होने के बाद उनका स्कूल शिक्षकविहीन हो गया। वहां किसी स्थाई शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो पाई। बच्चों की पढ़ाई और करियर की चिंता में सेवानिवृत्ति के एक वर्ष बाद भी अहमद लगातार स्कूल में पढ़ाने आ रहे हैं। उनके इस कदम की हर कोई तारीफ कर रहा है।

मो. अहमद नगर क्षेत्र के प्राथमिक स्कूल सिठौरा में वर्ष 2015 में ट्रांसफर होकर आए थे। उस समय भी यह एकल स्कूल ही था। मो. अहमद तभी से प्रधानाध्यापक की भूमिका निभा रहे हैं। स्कूल की हालत बेहद खराब थी। छात्रों की संख्या भी कम थी। अहमद ने अभिभावकों से लगातार संपर्क किया। उन्हें पढ़ाई का महत्व बताया। धीरे-धीरे इसका असर हुआ। बच्चों की संख्या 100 के पार पहुंच गई। पिछले वर्ष 31 मार्च 2024 को अहमद सेवानिवृत्त हो गए। उनके सेवानिवृत्त होते ही स्कूल शिक्षकविहीन हो गया। उन्होंने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। अधिकारियों ने शासनादेश के चलते नगर क्षेत्र के स्कूल में किसी स्थाई शिक्षक की तैनाती से हाथ खड़े कर दिए। इसने अहमद को बेचैन कर दिया। उन्हें अपने छात्रों की पढ़ाई, उनके करियर की चिंता सताने लगी। आखिर उन्होंने खुद ही स्कूल में शिक्षण कार्य जारी रखने का फैसला किया।
स्कूल से छह किलोमीटर दूर है घर
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मो. अहमद काजी टोला मोहल्ले में रहते हैं। उनका घर स्कूल से छह किलोमीटर दूर है। उसके बाद भी वह रोज स्कूल जाते हैं। अध्यापन के प्रति उनकी लगन की सभी लोग प्रशेसा कर रहे हें। स्कूल जाकर बारी-बारी से सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। उन्हें जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। पढ़ाई के साथ-साथ विभिन्न तरह की एक्टिविटी भी कराते हैं। स्कूल में उनके सहयोग के लिए दो शिक्षामित्र भी तैनात हैं।
जब तक हैं स्वस्थ, तब तक देंगे सेवाएं
मो. अहमद कहते हैं कि नगर क्षेत्र में फिलहाल नई नियुक्ति का प्रावधान नहीं है। इस कारण शिक्षकों की कमी है। जब तक वह शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे, तब तक इस स्कूल को अपनी सेवाएं देते रहेंगे।