लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत चयनित सभी गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की प्रक्रिया मंगलवार से फिर शुरू होगी। जिलाधिकारी की ओर से गठित बीईओ और एसीएम की समिति दाखिला न देने वाले स्कूलों से संपर्क करेगी।
बीएसए की ओर से इन अधिकारियों को उन बच्चों की सूची भी सौंपी गई है, जिन्हें चयनित होने के बाद भी स्कूल प्रबंधक प्रवेश नहीं दे रहे हैं। इस बार शहर में 18 हजार बच्चों का चयन आरटीई के तहत हुआ है। इनमें से काफी को प्रवेश नहीं मिला है।

निजी स्कूलों की मनमानी का मुद्दा अमर उजाला की ओर से लगातार उठाए जाने के बाद अभी तक करीब नौ हजार बच्चों का प्रवेश हुआ है। इनमें से आठ हजार का डाटा स्कूलों की ओर से अपडेट किया गया है।
बीएसए राम प्रवेश ने बताया कि बीते शुक्रवार को जिलाधिकारी की बैठक में प्रवेश न देने वाले स्कूलों की समीक्षा हो चुकी है। जिन स्कूलों ने प्रवेश नहीं दिया है उनमें बच्चों को दाखिला दिलवाया जाएगा। इसके लिए बीईओ और एसीएम मंगलवार से रोजाना खुद स्कूल पहुंचेंगे।
अभिभावक यहां दर्ज करा सकते हैं शिकायतें
आरटीई समन्वयक के नेतृत्व में बेसिक शिक्षा विभाग की टीम भी अभिभावकों से संपर्क करेगी। यदि किसी को जरूरत होगी तो उसकी मदद की जाएगी। उधर, अभिभावक बीएसए कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। बीएसए कार्यालय में चार सदस्यीय टीम शिकायतें सुन रही है।
फीस लेने वाले निजी स्कूलों पर की जाएगी कार्रवाई
आरटीई के तहत प्रवेश लेकर बच्चों के अभिभावकों से फीस मांगने वाले स्कूल प्रबंधकों को नोटिस जारी होगा। बीएसए कार्यालय में आधा दर्जन निजी स्कूलों की शिकायतें आई हैं। इन्होंने सत्र 2022-23 और 2023-24 में बच्चे का आरटीई में प्रवेश तो लिया, लेकिन किसी न किसी मद में शुल्क भी वसूलते रहे। अब इन स्कूलों से जवाब मांगा जाएगा। आरटीई के तहत चयनित बच्चे से किसी भी तरह का शुल्क लेना एक्ट का उल्लघंन है।