शासनादेश जारी
● जनप्रतिनिधियों के लिखे पत्र पर तुरंत होगी कार्रवाई
● प्रदेश में पहली बार जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए उठाया जा रहा कदम
● आदेशों की अवहेलना करने पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध होगी कठोर कार्यवाही
● रजिस्टर में पत्रों का विवरण दर्ज कर जनप्रतिनिधियों को पत्र भेजे जाने तथा प्रकरण के निस्तारण की स्थिति से अवगत भी कराया जाएगा
जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर अनिवार्य
सभी विभागों और कार्यालयों में जनप्रतिनिधियों के पत्रों का रिकॉर्ड रखने के लिए पत्राचार रजिस्टर अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही पत्र की प्राप्ति पर तत्काल पूरी जानकारी उपलब्ध करानी होगी। वहीं समाधान की सूचना देना भी जरूरी होगा। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा जनप्रतिनिधियों के पत्रों की अनदेखी की गई, तो उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
लखनऊ, । योगी सरकार ने जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों के भेजे गए पत्रों की अनदेखी करने पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर संसदीय कार्य विभाग ने शासनादेश जारी करते हुए सभी प्रमुख सचिवों, डीजीपी, मंडलायुक्तों, विभागाध्यक्षों, जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में सख्त निर्देश दिए हैं।
जन समस्याओं के मामले में योगी सरकार ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक सरकारी कार्यालय में जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर रखा जाए, जिसमें जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों का विवरण दर्ज किया जाए। साथ ही पत्र प्राप्त होते ही उसका जवाब भेजा जाए। साथ ही मामले के निस्तारण की स्थिति भी संबंधित जनप्रतिनिधि को अवगत कराई जाए ताकि एक ही प्रकरण में बार-बार पत्राचार की आवश्यकता न पड़े।
मुख्यमंत्री के निर्देश: मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि जनप्रतिनिधियों के पत्रों को गंभीरता से लिया जाए। साथ ही उनकी समस्याओं के समाधान में कोई लापरवाही न बरती जाए। आम आदमी की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश हैं।
जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर त्वरित कार्यवाही किए जाने के संबंध में , देखें
