लखनऊ। प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा का स्तर सुधारने और निपुण बनाने वाले एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी), आरटीई के चयनित बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले दिला रहे हैं। बच्चों व अभिभावकों के आधार का सत्यापन, अपार आईडी, यू डायस, डीबीटी, किताबों के वितरण समेत दूसरे काम काम कर रहे हैं। बीआरसी पर बाबूगिरि के साथ ही विभाग की ओर से मांगी जाने वाली सूचनाएं स्कूलों से लेकर भेज रहे हैं। इन्हीं कामों की वजह से एआरपी में खासी नाराजगी है। शिक्षक एआरपी की जिम्मेदारी संभालने से दूर भाग रहे हैं।
लखनऊ में 1618 प्राइमरी स्कूलों में करीब पौने दो लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। शासन ने प्राइमरी स्कूलों का शैक्षिक स्तर सुधारने और निपुण बनाने के लिये एआरपी के पद सृजित किये हैं। नगर और ग्रामीण क्षेत्र में विज्ञान, हिन्दी, गणित, अंग्रेजी और सामाजिक अध्ययन के 10-10 एआरपी के पद हैं। विषय विशेषज्ञ शिक्षक ही एआरपी बनाए जाते हैं। सरोजनीनगर के एक आरपी का कहना है कि जिस काम के लिये लिया गया है, वो काम नहीं कराया जा रहा। डीबीटी समेत अन्य कार्य कर रहे हैं।

एआरपी के मूल काम
● बच्चों को अंग्रेजी, हिन्दी गणित, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन में दक्ष बनाना।
● विभागीय आदेश, ऐप, पढ़ाई से लेकर अन्य गतिविधियों का क्रियान्वयन कराना।
● शिक्षकों को प्रशिक्षण देना और स्कूलों की प्रगति को परखना
● बच्चों का मूल्यांकन का काम।
ये काम किये जा रहे हैं
● आरटीई तहत निजी स्कूलों में दाखिला लेने वाले या दाखिले से वंचित बच्चों का सत्यापन
● बच्चों की यूनीफार्म के रुपये भेजने के लिये डीबीटी में सूचनाएं अपलोड करना
● बच्चों व अभिभावकों के आधार सत्यापन,यूडाइस व अपार आईडी पर बच्चों का ब्योरा अपलोड कराना
● ड्रॉप बॉक्स में पड़े हुए बच्चों की सूचना, अगली कक्षा में नामांकन की सूचना देना
● इलाके के बिना मान्यता वाले स्कूलों का चिन्हीकरण
एआरपी का काम सिर्फ प्राइमरी स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने का है। इसी मकसद से इनकी नियुक्ति की गई है। एआरपी से दूसरे काम लिये जाने की जानकारी नहीं है। बीएसए से बात करके पता करेंगे।
-श्याम किशोर तिवारी, एडी बेसिक
लखनऊ। प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा का स्तर सुधारने और निपुण बनाने वाले एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी), आरटीई के चयनित बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले दिला रहे हैं। बच्चों व अभिभावकों के आधार का सत्यापन, अपार आईडी, यू डायस, डीबीटी, किताबों के वितरण समेत दूसरे काम काम कर रहे हैं। बीआरसी पर बाबूगिरि के साथ ही विभाग की ओर से मांगी जाने वाली सूचनाएं स्कूलों से लेकर भेज रहे हैं। इन्हीं कामों की वजह से एआरपी में खासी नाराजगी है। शिक्षक एआरपी की जिम्मेदारी संभालने से दूर भाग रहे हैं।
लखनऊ में 1618 प्राइमरी स्कूलों में करीब पौने दो लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। शासन ने प्राइमरी स्कूलों का शैक्षिक स्तर सुधारने और निपुण बनाने के लिये एआरपी के पद सृजित किये हैं। नगर और ग्रामीण क्षेत्र में विज्ञान, हिन्दी, गणित, अंग्रेजी और सामाजिक अध्ययन के 10-10 एआरपी के पद हैं। विषय विशेषज्ञ शिक्षक ही एआरपी बनाए जाते हैं। सरोजनीनगर के एक आरपी का कहना है कि जिस काम के लिये लिया गया है, वो काम नहीं कराया जा रहा। डीबीटी समेत अन्य कार्य कर रहे हैं।
एआरपी नहीं बनना चाहते
बाबूगीरी के काम लिये जाने से शिक्षकों में एआरपी बनने की रुचि कम हो गई। शिक्षक एआरपी नहीं बनना चाहते हैं। लखनऊ में एआरपी के 50 पद हैं। एआरपी चयन के लिये आवेदन में सिर्फ 66 शिक्षकों ने आवेदन किया था। लखनऊ में पांच हजार से अधिक शिक्षक हैं। 25 एआरपी का चयन हुआ