यूपी बोर्ड परीक्षा का परिणाम 25 अप्रैल को घोषित हो चुका है। अब यूपी बोर्ड पूरे प्रदेश में ऐसे शिक्षकों की तलाश कर रहा है, जिन्होंने यूपी बोर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन नहीं किया। बोर्ड का फोकस ऐसे शिक्षकों पर है, जिन्होंने एक भी दिन मूल्यांकन नहीं किया। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने सूबे के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को पत्र लिखकर ऐसे शिक्षकों का ब्योरा मांगा है, जानकारी देने के लिए डीआईओएस को एक प्रारूप भी भेजा जा रहा है। इस प्रारूप में इस बात का भी उल्लेख करना है कि राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्त विहीन मान्यता प्राप्त स्कूलों के कितने शिक्षकों ने मूल्यांकन नहीं किया।

बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने कहा कि अब तक दो जनपदों के एक-एक केंद्र का ब्योरा मिला है। यह जानकारी बिना पत्र भेजे ही उन तक पहुंची है। ये दो जिले चित्रकूट और आंबेडकर नगर हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आंबेडकर नगर के एक मूल्यांकन केंद्र से 95 ऐसे शिक्षक हैं जो एक दिन भी मूल्यांकन कार्य में शामिल नहीं हुए हैं। बोर्ड में इस बात की भी चर्चा है कि मूल्यांकन से अनुपस्थित रहने वालों ज्यादातर वही शिक्षक हैं जो एडेड एवं राजकीय कॉलेज के प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। सचिव का कहना है कि दोषी पाए गए शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
विदित हो कि हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा 12 मार्च को खत्म हुई थी। इसके बाद करीब 3 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कराया गया। मूल्यांकन कार्य 19 मार्च से 2 अप्रैल तक 261 केंद्रों पर हुआ। इन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के लिए 1 लाख 48 हजार 667 परीक्षक नियुक्त किए गए थे। सचिव भगवती सिंह ने बताया कि परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर फर्जी कक्ष निरीक्षक भी पकड़े गए थे। इनके खिलाफ परीक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज कराया गया था।