दिव्यांग बच्चों की शिक्षा पर हावी सिंडिकेट सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने में भी पीछे नहीं है। मामला बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़ा है, जहां दिव्यांग बच्चों के चिन्हांकन, नामांकन व ऑनलाइन ट्रैकिंग में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद अब एक नया प्रकरण सामने आया है। दिव्यांगों को शिक्षित करने के लिए रखे गए विशेष शिक्षकों की नियुक्ति में जमकर हुई धांधली का खुलासा हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश जो था: सर्वोच्च न्यायालय ने दिव्यांग बच्चों को पढ़ा रहे विशेष शिक्षकों की योग्यता, डिग्री और दक्षता की जांच के लिए तीन सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी गठित कर जांच करने को कहा। कोर्ट का आदेश था कि राज्य आयुक्त (दिव्यांगजन) की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग के सचिव और भारतीय पुनर्वास परिषद के एक विशेषज्ञ को शामिल कर कमेटी बनाई जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि विशेष शिक्षकों की नियुक्ति में जो योग्य विशेष शिक्षक पाए जाएं उन्हें आयु सीमा में छूट देने पर विचार भी किया जाए। प्राथमिक विद्यालयों में करीब तीन लाख से अधिक दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित आदि विकलांग बच्चे पढ़ रहे हैं।
विभाग ने ये की मनमानी
भाग के अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश के विपरीत बेसिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में चहेते चार अधिकारियों की की समिति बना दी है। समिति में निदेशक के अलावा वित्त नियंत्रक, परिषद के सचिव तथा राज्य परियोजना कार्यालय के वरिष्ठ विशेषज्ञ को सदस्य बनाया गया है। यही समिति प्रदेश भर में कार्यरत लगभग 2300 विशेष शिक्षकों की पात्रता की समीक्षा करेगी।
नियुक्तियों में गड़बड़ियां
सूत्रों के अनुसार, कई जिलों में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति में भारी गड़बड़ी हुई है। मौजूदा समय में करीब 25% से अधिक विशेष शिक्षक ऐसे हैं, जो न तो एनसीटीई, न ही दिव्यांगजनों की शिक्षा और पुनर्वास के लिए मानद संस्था भारतीय पुनर्वास परिषद् के मानकों को पूरा करते हैं। इसके बावजूद पूरे प्रदेश में इन विशेष शिक्षकों का अनुबंध हर वर्ष नवीनीकृत किया जा रहा है।