नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई ने रविवार को शीर्ष अदालत की कॉलेजियम और केंद्र द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी नहीं दिए जाने संबंधी एक सवाल पर टिप्पणी से इनकार कर दिया। हालांकि, न्यायपालिका में अनुसूचित जातिḤ/जनजाति और पिछड़े वर्गों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व पर कहा कि संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों में आरक्षण नहीं हो सकता।

न्यायमूर्ति गवई ने यह भी कहा कि संबंधित लोगों को उच्च न्यायपालिका में समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर जागरूक होना चाहिए। महिला जजों की कम संख्या के मुद्दे पर कहा कि कई बार उपयुक्त व्यक्ति का मिलना मुश्किल होता है।
जस्टिस वर्मा पर तय प्रक्रिया के तहत कार्रवाई : जस्टिस गवई ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ तीन जजों की जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी गई है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा जस्टिस वर्मा के खिलाफ जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजते समय क्या महाभियोग की भी सिफारिश की है, तो उन्होंने कहा कि तय प्रक्रिया से कार्रवाई होगी।
हाईकोर्ट के जज भी संपत्ति सार्वजनिक करें : जस्टिस गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की तरह सभी हाईकोर्ट के जाजों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना चाहिए।
जस्टिस वर्मा के मामले के बाद न्यायपालिका में पारदर्शिता पर उठ रहे सवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट के जजों ने पिछले सप्ताह अपनी संपत्ति की घोषणा कर दी।