लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में निपुण लक्ष्य व मूल्यांकन में किए गए बदलाव के तहत अब बच्चों का समग्र मूल्यांकन किया जाएगा। वहीं बच्चों के बीच पियर लर्निंग (साथियों से सीखना) व रेमेडियल (उपचारात्मक) कक्षाओं पर भी जोर दिया जाएगा। यह प्रयोग खासतौर पर लक्ष्य न प्राप्त करने वाले विद्यालयों के लिए लागू किया जाएगा।

निपुण लक्ष्य के तहत वर्तमान में कक्षा एक व दो के बच्चों के भाषा व गणितीय दक्षता का मूल्यांकन किया
जाता था, लेकिन शिक्षा मंत्रालय की ओर से संशोधित दो साल के लक्ष्य के तहत अब बच्चों का संपूर्ण मूल्यांकन होगा। इसमें बच्चों को करेंसी (नोट) देते हुए इसके प्रयोग के बारे में भी बताया जाएगा। बच्चों
की पूरी समझ व उनके लिखने का भी मूल्यांकन होगा। इसी के अनुरूप बच्चों पर ध्यान दिया जाएगा।
इसके लिए बच्चों को हर माह के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम पूरा कराना होगा। बच्चों द्वारा सहपाठियों के
साथ ज्ञान, विचार और अनुभव को साझा करने के लिए आपस में मिलकर पढ़ाई करने पर जोर दिया जाएगा। बच्चों की प्रगति का आकलन करते हुए कक्षा व विषयवार रेमेडियल कक्षाएं भी चलाई जाएंगी। एनसीईआरटी की लाइब्रेरी बुक का प्रयोग पुस्तकालय में किया जाएगा।
बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि अच्छे विद्यालय व शिक्षक, अन्य विद्यालय व शिक्षकों के मार्गदर्शन व गुणवत्ता सुधार में भी मेंटर का काम करेंगे।
राज्य स्तर से भी कराया जाएगा मूल्यांकन
अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि निपुण विद्यालय के लिए अब दो स्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया लागू होगी। पहले प्रधानाध्यापक विद्यालय के मूल्यांकन के लिए प्रेरणा पोर्टल पर ऑनलाइन नामांकन करेंगे। इसके बाद डायट प्राचार्य के निर्देशन में अन्य विकास खंड के एआरपी व डायट मेंटर से संबंधित विद्यालय का मूल्यांकन कराएंगे। डायट प्राचार्य की पुष्टि के बाद राज्य परियोजना निदेशालय भी डीएलएड प्रशिक्षुओं से विद्यालय के सभी बच्चों का मूल्यांकन कराएगा।