एआई क्षेत्र में नोबल विजेता जेफ्री हिंटन ने किया दावा
बर्लिन, । आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आ जाने से जिस तेजी से तकनीक जगत में क्रांति आई है, उम्मीद है कि अगले दस सालों में शिक्षकों की जगह एआई चैटबॉट नजर आएंगे।
ये चैटबॉट इंसानी शिक्षकों की तुलना में दोगुनी गति से बच्चों को पढ़ाने में सक्षम होंगे। यह भविष्यवाणी आर्टफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता जेफ्री हिंटन ने की है। जेफ्री हिंटन ने दावा किया कि एआई ट्यूटर से पढ़ना बच्चों के लिए बोरियत भरा नहीं होगा। साथ तकनीक से हुई पढ़ाई प्रभावी भी रहेगी। बर्लिन में गाईटेक्स यूरोप सम्मेलन में बोलते हुए हिंटन ने कहा, ‘एआई पर्सनल ट्यूटर के जरिए शिक्षा कई स्तरों पर बेहतर होगी। ब्रिटेन की कुछ स्कूलों में एआई ट्यूटरों का परीक्षण शुरू कर दिया गया है। मेटा द्वारा विकसित मांडा नामक एक चैटबॉट, गणित और अंग्रेजी पढ़ा रही है। यह चैटबॉट 300 से अधिक योग्य शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित है। हिंटन ने कहा, जैसे-जैसे एआई खुद को लाखों छात्रों के अनुभव से प्रशिक्षित करता जाएगा, वैसे-वैसे इसकी सीखने की क्षमता मानवीय ट्यूटर से आगे निकलेगी।

भारत के स्कूलों में भी स्मार्ट रोबोट टीचर
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पढ़ाने के साथ कहानियां भी सुना रहीं एआई मैम
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केवल चार लाख रुपये में तैयार कर लिया एआई टीचर
पिछले महीने गुजरात के राजकोट के न्यू फ्लोरा स्कूल में एक स्मार्ट रोबोट ने बच्चों को पढ़ाया और कहानियां सुनाईं। इस स्कूल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे ऐसा रोबोट तैयार किया है, जो यहां के 550 बच्चों को पढ़ा रही है।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में सरकारी स्कूल के बच्चों को एआई टीचर ईको पढ़ा रही है।’ ईको’ एआई रोबोट है। यह विद्यार्थियों के साथ संवाद कर सकती है और सवालों के जवाब भी देती है। इसे बनाने में चार लाख रुपये का खर्च आया।
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साड़ी पहनकर पहुंचीं आइरिस मैम
पिछले साल केरल के एक स्कूल में एआई रोबोट टीचर आइरिस की नियुक्ति की गई। एआई टीचर आइरिस एक ह्यूमनॉइड रोबोट है। एआई रोबोट टीचर आइरिस की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।