जहाँ भीषण गर्मी के कारण बच्चों की छुट्टियाँ 30 जून तक बढ़ा दी गई हैं, वहीं शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और शिक्षोपार्जक कर्मचारियों को विद्यालय आने का आदेश देना अमानवीय और अनुचित है।
क्या शिक्षकों का स्वास्थ्य, जीवन और सम्मान कोई मायने नहीं रखता?

*📢 उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष श्री दिनेश चंद्र शर्मा जी ने इस तुगलकी फरमान का कड़ा विरोध किया है और मांग की है कि:*
✅ विद्यालयों को पूरी तरह से बंद किया जाए।
✅ शिक्षकों को भी 30 जून तक छुट्टी प्रदान की जाए।
✅ शिक्षकों को शारीरिक और मानसिक शोषण से मुक्त रखा जाए।
शिक्षक केवल कर्मचारी नहीं, समाज निर्माता हैं।
उनके साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा!
👉 आइए, इस अव्यावहारिक निर्णय का संगठित रूप से विरोध करें और शिक्षक समुदाय के हित में आवाज़ बुलंद करें।
✊ “शिक्षक गरिमा की रक्षा हमारा दायित्व है!”