शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त दाखिला देने में निजी स्कूल आनाकानी कर रहे हैं।
स्कूली शिक्षा महानिदेशालय की सख्ती के बावजूद छह लाख में से 1.30 लाख सीटों पर ही प्रवेश हुए हैं। यानी कुल सीटों में से अब तक 22 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हुआ है। यही नहीं इस वर्ष आवंटित की गईं 185675 सीटों में से भी 55401 सीटें अभी नहीं भर पाईं हैं। ऐसे में आवंटित सीटों में से भी 30 प्रतिशत सीटें अभी रिक्त हैं। ऐसे में कम प्रवेश वाले जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए ) से जवाब मांगा गया है।b

प्रदेश में 26 जिले ऐसे हैं जहां पर आवंटित की गईं सीटों में से भी 30 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली हैं। वर्तमान शैक्षिक सत्र वर्ष 2025-26 में गरीब परिवार के 334953 बच्चों के आवेदन फॉर्म आए थे और इसमें से 252269 बच्चों के फॉर्म स्वीकृत किए गए। जिन जिलों का अभी तक प्रदर्शन अच्छा है उनमें गोंडा में आवंटित सीटों में से 94 प्रतिशत, फिरोजाबाद में 93 प्रतिशत, प्रतापगढ़ व ललितपुर में 92 प्रतिशत, श्रावस्ती व हरदोई में 91 प्रतिशत हुए हैं।
इस वर्ष आवंटित की गईं सीटों में से मुरादाबाद में 67 प्रतिशत सीटें खाली हैं, कानपुर में 52 प्रतिशत, मेरठ में 47 प्रतिशत और गाजियाबाद में 48 प्रतिशत सीटें रिक्त हैं। वहीं कन्नौज में 41 प्रतिशत, गोरखपुर में 38 प्रतिशत, गौतमबुद्ध नगर में 37 प्रतिशत, कानपुर देहात व वाराणसी में 35 प्रतिशत, अयोध्या और बलिया में 34 प्रतिशत सीटें अभी तक नहीं भर पाईं हैं। ऐसे ही 26 जिलों में आवंटित सीटों में से 30 प्रतिशत सीटें रिक्त हैं।
सभी जिलों से ऐसे स्कूलों की सूची मांगी गई है, जहां बहुत कम प्रवेश हुए हैं। सभी बीएसए को निर्देश दिए गए हैं कि वह आवंटित की गईं सभी सीटों पर प्रवेश कराएं। कंचन वर्मा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा