लखनऊ। प्रदेश में कम संख्या वाले स्कूलों के विलय के निर्णय से शिक्षक संगठनों में नाराजगी है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम प्रकाश साहू व प्रदेश महामंत्री आलोक सिंह यादव ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को ज्ञापन भेजकर विद्यालयों के विलय के आदेश को निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई एक्ट) 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है। शासन द्वारा कम संख्या वाले परिषदीय विद्यालयों का विलय दूसरे विद्यालयों में करने से काफी बच्चे शिक्षा से वंचित होंगे, क्योंकि वो दूर पढ़ाई करने नहीं जा सकते है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत विश्व बैंक की सहायता से व खुद सरकार ने हर गांव व मजरे में प्राथमिक विद्यालय तथा हर दो किलोमीटर की दूरी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की है।

कहा- विलय से खत्म हो जाएंगे प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के पद
सरकारी स्कूलों में गरीब, मजदूर व किसान के बच्चे पढ़ाई करते हैं। विद्यालयों का विलय करने से गरीब परिवार एवं किसानों के बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कई गांव विद्यालय विहीन हो जाएंगे। विलय से प्रधानाध्यापकों व शिक्षकों के काफी पद खत्म हो जाएंगे। 2015 से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं की गई है। दूसरी तरफ सरकारी स्कूल के 1 किलोमीटर के अंदर अन्य अधोमानक प्राइवेट स्कूलों को मान्यता प्रदान की जा रही है, जिससे छात्र संख्या घटना स्वाभाविक है। यदि विद्यालयों के विलय का आदेश वापस नहीं लिया जाता है तो शिक्षक संघ आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।