लखनऊ। कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के विरोध में मंगलवार को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ भी आ गया। संघ के प्रतिनिधिमंडल ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से मिलकर इस निर्णय को वापस लेने और स्कूलों के विलय की जगह संसाधन व शिक्षक बढ़ाने की मांग की।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ प्राथमिक संवर्ग के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह व प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह ने महानिदेशक से वार्ता में कहा कि कम नामांकन वाले विद्यालयों का विलय आरटीई की आत्मा पर सीधा प्रहार है। प्रदेशीय संगठन मंत्री शिवशंकर सिंह ने कहा कि कम नामांकन का प्रमुख कारण विद्यालयों में मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं का अभाव, शिक्षकों की कमी, शिक्षा की गुणवत्ता का प्रभावित होना है। उन्होंने कहा कि परिषदीय विद्यालयों के पास ही काफी संख्या में प्राइवेट विद्यालयों को मान्यता दी गई है। प्राथमिक विद्यालयों में प्रवेश की न्यूनतम आयु छह साल है। वहीं प्राइवेट विद्यालय आसानी से पांच साल वाले बच्चों का प्रवेश कर रहे हैं।
विद्यालय विलय से प्रशिक्षु शिक्षकों का भविष्य भी अंधकार में है। विद्यालय बंद होने से शिक्षकों के पद समाप्त होंगे। प्रतिनिधिमंडल में प्रदेशीय कार्यकारी अध्यक्ष मातादीन द्विवेदी आदि शामिल थे।
कोर्ट जाने की तैयारी में यूटा
दूसरी तरफ यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) इस मामले में न्यायालय जाने की तैयारी में है। इसके लिए मंगलवार को बरेली में बैठक में पदाधिकारियों ने सभी ब्लॉक अध्यक्ष व मंत्री को निर्देश दिया कि अपने-अपने ब्लॉक के विलय वाले स्कूलों की सूची संगठन को उपलब्ध कराएं। सिर्फ बरेली में इनकी संख्या 617 है। बैठक में जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह, महामंत्री हरीश बाबू, उपाध्यक्ष रमेश मौर्य आदि उपस्थित थे।