लखनऊ। प्रदेश में बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात सही करने की कवायद के बीच अब डमी स्कूलों के खिलाफ भी अभियान चलाया जाएगा। इसमें ऐसे विद्यालयों को चिह्नित किया जाएगा, जो सीधे प्रवेश तो नहीं लेते हैं लेकिन दूसरे विद्यालयों के नामांकन वाले बच्चों को पढ़ाते हैं। क्योंकि इसका असर सरकारी स्कूलों पर पड़ रहा है। बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाना बड़ी चुनौती है। तमाम कवायद के बाद भी इसमें अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा। इसे देखते हुए अब शासन ने बिना मान्यता वाले स्कूलों पर सख्ती करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बेसिक व माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों की संयुक्त टीमें जिलों में विशेष अभियान चलाएंगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्ता की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि

जनप्रतिनिधियों द्वारा जानकारी दी गई है कि डमी स्कूल के छात्रों का नामांकन तो किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में होता है। मगर वास्तव में वे ऐसे संस्थानों में पढ़ाई करते हैं, जिनकी शैक्षिक मान्यता नहीं होती है। ऐसे विद्यालय जिनमें कक्षा आठ तक की मान्यता है, वे भी अवैध रूप से कक्षा नौ व 12 तक की कक्षाएं चला रहे हैं। उन्होंने कहा है कि इन विद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों का पंजीकरण नियम विरुद्ध किसी अन्य मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया जाता है। ऐसे में शासन ने अवैध व डमी स्कूलों की जांच के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक की अध्यक्षता में बेसिक शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी की तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। जो जिलों में जांच कर हर महीने मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक व सहायक मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को रिपोर्ट देंगे। इसके आधार पर कार्रवाई होगी