नई दिल्ली। शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेलों परबनी स्थायी संसदीय समिति ने सिफारिश की है किविद्यार्थियों, शिक्षकों व सहयोगी स्टाफ का टीकाकरणकर सरकार जल्द से जल्द स्कूल खोलने पर विचारकरे। समिति के अनुसार स्कूल बंद रहने से बच्चों परहो रहे गंभीर असर को नजरअंदाज नहीं किया जासकता। राज्यसभा सांसद डॉ. विनयपी सहस्त्रबुद्धे कीअध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद में रखतेहुए यह बातें कही हैं।
यह समिति लॉकडाउन में स्कूल बंद रहने से बच्चोंकी शिक्षा में आई कमी, ऑनलाइन व ऑफलाइनबढ़ाई, परीक्षा और स्कूल फिर से खोलने कीयोजनाओं पर विचार के लिए ही बनी थी। देश मेंपिछले वर्ष मार्च में ही स्कूल महामारी के दौरान लगेलॉकडाउन में बंद कर दिए गए थे। कुछ राज्यों ने गतअक्तूबर में इन्हें खोला, लेकिन महामारी की दूसरीकहीं ज्यादा घातक लहर में उन्हें अपना निर्णयबदलना पड़ा।
बताए हालात : समिति के अनुसार घरों में कैदबच्चों और परिवारों पर स्कूल बंद रहने का ६ असरहुआ है। कुछ मामलों में बाल विवाह बढ़ गए हैं तो कईजगह बच्चों से घरों का काम करवाया जा रहा है।बंचित परिवारों के बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान होरहा है। उनकी मानसिक सेहत पर भी असर हो रहा है।इन सभी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सिफारिशें विद्यार्थियों, शिक्षकों, स्कूल के सहयोगीस्टाफ के टीकाकरण पर जोर दें ताकि स्कूलसामान्य ढंग से जल्द खोले जा सकें।
1- विद्यार्थियों को एक-एक दिन के अंतर पर या दोशिपर में बांटकर बुलाया जा सकता है, कक्षाएंभरी हुईं न रहें। इससे एक दूसरे से दूरी रखने,मास्क पहनने, हाथ धोने व सफाई रखने जैसेनियम सख्ती से मनवाए जा सकेंगे।
2- उपस्थिति लेते समय बच्चों का तापमान मापा जाए,रेंडम आरटीपीसीआर टेस्ट हो, ताकि संक्रमित कोपहचान हो सके। हर स्कूल दो ऑक्सीजनकंसन््ट्रेटर और प्रशिक्षित स्टाफ भी रखें।
3- स्वास्थ्य इंस्पेक्टर स्कूलों का निरीक्षण करें। इसकेसाथ ही कोरोना की रोकथाम को लेकर विदेशों मेंजो जरूरी कदम उठाए जा हहे हैं, उन्हें अपनाएं।