स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दिया जाएगा मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण
बस्ती। दुबौलिया ब्लॉक के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना में प्रत्येक शुक्रवार को बच्चों को मशरूम खाने को मिलेगा। डीएम सौम्या अग्रवाल ने सोमवार को कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में निर्देश दिए 21 अक्तूबर को दुबौलिया ब्लॉक के 25 महिला स्वयं सहायता समूहों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दी जाए।
डीएम ने कहा कि महिलाओं की ओर से उत्पादित मशरूम एफपीओ की ओर से खरीदा जाएगा तथा सभी स्कूलों में आपूर्ति की जाएगी। मशरूम की कीमत एफपीओ महिला स्वयं सहायता समूहों को भुगतान करेंगे। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल कन्वर्जन कास्ट की धनराशि का भुगतान एफपीओ को करेंगे। उन्होंने उप निदेशक कृषि को इस योजना के लिए नोडल नामित किया है। उन्होंने कहा कि वह बेसिक शिक्षा अधिकारी, एनआरएलएम के प्रभारी तथा एफपीओ के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन करने से पहले वह देवरिया तथा बलिया जनपद में लागू इस योजना के प्रावधानों का अध्ययन करेंगे।
बेसिक शिक्षा अधिकारी जगदीश शुक्ल ने बताया कि इस योजना के तहत चयनित दुबौलिया ब्लॉक में कुल 116 विद्यालय हैं। इनमें 6042 बालक तथा 6445 बालिकाएं पढ़ी हैं। उन्होंने बताया कि प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को 100 ग्राम तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय एवं माध्यमिक विद्यालय के बच्चों को 150 ग्राम मशरूम दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक शुक्रवार को 1.3 क्विंटल मशरूम की आवश्यकता होगी। प्रति बच्चे पर करीब एक रुपये कन्वर्जन कास्ट लगेगा। उद्यान निरीक्षक विनोद कुमार मौर्या ने बताया कि 30 गांवों में 52 लाभार्थी लगभग 32900 क्विंटल प्रति वर्ष मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। एनआरएलएम प्रभारी ने बताया कि विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूह में लगभग 63 महिलाएं मशरूम का उत्पादन कर रही हैं, जिसे वह स्थानीय मार्केट में बेचती हैं। दोनों अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि मशरूम की कमी नहीं होने पाएगी।
बैठक में प्रभारी उप निदेशक कृषि राम बचन राम, बीएसए जगदीश शुक्ल, केवीके के वैज्ञानिक डॉ. आरवी सिंह, नाबार्ड के प्रबंधक मनीष कुमार, एफपीओ सिद्धार्थ के निदेशक राममूर्ति मिश्रा, विजेंद्र बहादुर पाल, अज्ञाराम वर्मा, मशरूम उत्पादक शिवेंद्र सिंह, राजमणि आदि उपस्थित रहे।