महराजगंज बेसिक शिक्षा विभाग के अनुदेशक व कंप्यूटर विशेषज्ञ जितेंद्र शर्मा अपने मित्रों के साथ विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर पहुंचने में सफलता पाई है। वहां भारतीय ध्वज फहरा कर जिले का नाम रोशन किया है।
सदर क्षेत्र के बागापार निवासी जितेंद्र शर्मा बेसिक शिक्षा विभाग में अनुदेशक है। जितेंद्र शर्मा ने बताया कि एक सपना था कि वह विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट के करीब पहुंचे। इसी बीच एक मित्र चन्द्रजीत पाण्डेय ने बातचीत में माउंट एवरेस्ट चलने की मंशा का इजहार किया। इसके बाद यात्रा शुरू हो गई।
बीस किलो वजन के साथ छह दिन की पैदल यात्रा के बाद पहुंचे बेस कैंप
अनुदेशक जितेंद्र शर्मा अपने मित्र चंद्रजीत पांडेय के साथ महराजगंज से भैरहवा पहुंचे। वहां से काठमांडू के लिए रवाना हुए। काठमांडू से सुबह 5 बजे एवरेस्ट के बेस कैंप के लिए निकले। वहां रात विश्राम करने के बाद पीठ पर 20 किलो का वजन और हाथ में डंडा लेकर बेस कैंप की तरफ बढ़े। छह दिन की पैदल यात्रा के बाद 36 सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित नामचे पहुंचे। उसके बाद एक एक कदम बढ़ना भी मुश्किल था। करीब 45 सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित एवरेस्ट यात्रा के अहम पड़ाव डेंगवोचे पहुंचे। वहां से ऑक्सीजन की समस्या बढ़ने लगी। ट्रैकर्स जितेंद्र शर्मा ने बताया कि डेंगबोचे पहुंचने के बाद यही लगा कि अब यात्रा अधूरी रह जाएगी। रात में एक वक्त ऐसा भी आया जब यह महसूस होने लगा कि अब जान निकल जाएगी। लेकिन एवरेस्ट पहुंचने के जज्बा ने दिमाग और शरीर को तैयार किया। सोमवार को दिन में डेढ़ माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर पहुंच गए। वह जितेंद्र ने अपने मित्र चन्द्रजीत पांडेय के साथ तिरंगा झंडा लहराया।
गाइड ना पोटर, इस तरह सपनों को साकार किया
जितेंद्र शर्मा ने बताया कि डेंगवोचे में मन कुछ विचलित हुआ लेकिन कदम आगे बढ़े। उनके साथ न तो गाइड थे और ना समान ढोने वाले पोटर थे। क्योंकि इनका चार्ज अधिक था। लेकिन मन में जज्बा व लगन से माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर पहुंचने का अपना साकार हो गया। जितेंद्र की इस उपलब्धि पर अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पटेल के अलावा बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मियों ने बधाई दी है।