केंद्र सरकार ने स्कूलों को उन किताबों की खुद ही जिम्मेदारी लेने को कहा है, जिसे वे अपने स्तर पर छात्रों को लेने के लिए कहते हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने स्कूलों से कहा है कि वे NCERT और राज्य शैक्षणिक अनुसंधान परिषदों की ओर से मंजूर की गई किताबों के अलावा इनकी लिस्ट को भी अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर लिखें।
इसके अलावा स्कूलों को यह घोषणा भी करने के लिए कहा गया है कि इन किताबों में दी गई सामग्री की सही से जांच कर ली गई है। इसी महीने की शुरुआत में एजुकेशन मिनिस्ट्री की ओर से स्कूल सेफ्टी और सिक्योरिटी को लेकर जारी गई गाइडलाइंस में ही यह निर्देश दिया गया है।
इस गाइलाइन में कहा गया है, इन नियमों को स्कूलों को फॉलो करना जरूरी है। छात्रों की सुरक्षा के लिए स्कूलों को हर दिशा में सभी पहलुओं को परखना चाहिए, ताकि कोई भी कारण से छात्रों के विकास को प्रभावित न कर सके।
आगे गाइडलाइन में कहा गया, प्राइवेट और पब्लिक दोनों स्कूलों को कहा गया कि, NCERT, SCERT से रिलेटिड किताबों के अलावा अन्य किताबों को प्रिस्क्राइब करते समय अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
इसी के साथ स्कूलों के प्रिसिंपल, स्कूल हेड और शिक्षकों की जिम्मेदारी है वह इन किताबों के सिलेबस की सावधानीपूर्वक विश्लेषण करें. ताकि जाति, वर्ग, धर्म, लिंग, जातीयता या भाषा के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव को बढ़ावा न मिल सके।
किताबों में “पर्यावरण संरक्षण, लिंग समानता और नैतिक व्यवहार आदि के प्रति बढ़ावा देना चाहिए। वहीं साफ खान, स्वच्छता और पढ़ाई और अन्य एक साथ करने वाले कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए।
आपको बता दें, स्कूलों को अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर प्रिस्क्राइब की गई किताबों की लिस्ट बनाने को कहा है। इसी के साथ एक पत्र भी लिखने को कहा है, जिसमें लिखा हो, कि “पुस्तकों में दी गई सामग्री की जिम्मेदारी स्कूल वाले खुद लेते हैं”।
इतिहास में ऐसे उदाहरण हैं जहां स्कूली किताबों में आपत्तिजनक सामग्री पाई गई थी, और NCERT या CBSE ने उन किताबों को प्रिस्क्राइब करने से मना कर दिया था।बता दें, साल 2012 में, दिल्ली के कुछ CBSE-संबद्ध स्कूलों में कक्षा 6 की किताब पढ़ाई जा रही थी, जिसमें कहा गया था कि “मांस खाने वाले धोखा देते हैं, झूठ बोलते हैं और यौन अपराध करते हैं”।
जैसे ही इसके बारे में लोगों को पता चला कि तो हंगामा खड़ा हो गया था। CBSE ने बाद में एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने इस किताब को नहीं लिखा। NCERT के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा: “यह महत्वपूर्ण है कि स्कूलों को ऐसी किताबों की लिस्ट सार्वजनिक करनी चाहिए और जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए।”