उत्तर प्रदेश सरकार के न्याय विभाग में इलाहाबाद हाईकोर्ट वॉइस की लखनऊ खंडपीठ के अपने अधिवक्ता पैनल में व्यापक फेरबदल किया है। इसके तहत पहले से राज्य सरकार के पैनल में शामिल चले आ रहे 77 अधिवक्ताओं की आबद्धता को समाप्त कर दिया गया है। यह सभी स्थायी अधिवक्ता या ब्रीफ फोल्डर स्तर के सरकारी वकील थे। जबकि एक अन्य सूची में इलाहाबाद और लखनऊ पीठ मिलाकर लगभग 225 विभिन्न स्तर के सरकारी वकीलों को आबद्ध किया गया है।
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जारी सूची के अनुसार इलाहाबाद में मनोज कुमार सिंह व अनिल कुमार सिंह को मुख्य स्थायी अधिवक्ता बनाया गया है, जबकि सूची में 12 अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ताओं के नाम भी शामिल हैं। इसी प्रकार से 47 स्थायी अधिवक्ता और 37 ब्रीफ होल्डर सिविल साइड के व 28 क्रिमिनल साइड के बनाए गए हैं। इसी प्रकार से लखनऊ में दो नए मुख्य स्थायी अधिवक्ताओं के अलावा 8 अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता, 45 स्थायी अधिवक्ता व 22 ब्रीफ फोल्डर सिविल तथा 22 क्रिमिनल साइड के लिए आबद्ध किए गए हैं।
नई सूची को लेकर कई दिनों से चल रही थी हाईकोर्ट में चर्चा
सरकारी अधिवक्ताओं की नई सूची को लेकर के हाईकोर्ट में काफी दिनों से चर्चा चल रही थी। कहा जा रहा है कि प्रदेश सरकार ने चुनाव से ठीक पहले नई सूची जारी कर उन असंतुष्ट अपने कार्यकर्ताओं को साधने की कोशिश की है, जोकि लंबे समय से पार्टी से जुड़े थे, मगर पिछले साढे़ चार वर्ष के कार्यकाल में उनको अवसर नहीं मिल पाया था।
सूची को लेकर असंतोष
न्याय विभाग द्वारा जारी अधिवक्ता पैनल की सूची में शामिल नामों को लेकर हाईकोर्ट के एक बड़े तबके में खासा असंतोष बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सरकार द्वारा जारी सूची में एक वर्ग विशेष के लोगों को अधिक तरजीह दी गई है, जबकि अन्य तबकों को नजरंदाज किया गया है। जो कि पार्टी से लंबे समय से जुड़े हुए हैं और कई उनमें से कई पुराने कार्यकर्ता हैं। उनको सूची में स्थान न दिए जाने से लोगों में खासा असंतोष है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर अधिवक्ता टिप्पणी कर रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि रविवार को सुनील बंसल की मौजूदगी में अधिवक्ता इस मुद्दे को उनके समक्ष उठा सकते हैं।